साइबर अपराध की चुनौती

साइबर अपराध की चुनौती

पिछले कुछ वर्षों में साइबर अपराध में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। ऐसे में साइबर सुरक्षा सुनिश्चित किए बिना देश के विकास की कल्पना करना असंभव है। इसलिए डिजिटल अर्थव्यवस्था को बनाए रखने और इसे बढ़ाने के लिए साइबर चुनौतियों का पता लगाना और साइबर सुरक्षा के लिए प्रभावी समाधान खोजना अत्यंत आवश्यक हो जाता है।

आज साइबर अपराधों में पहचान की चोरी, क्रिप्टोजैकिंग, चाइल्ड पोर्नोग्राफी, साइबर आतंकवाद से लेकर साइबर अपराधों के कई रूप हैं। तेजी से बढ़ते डिजिटल युग में इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स (ई-कॉमर्स) और ऑनलाइन स्टॉक ट्रेडिंग में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है जिससे अधिक साइबर अपराध हो रहे हैं।

साइबर अपराधों में कंप्यूटर का उपयोग एक उपकरण या लक्ष्य के रूप में किया जाता है। केंद्र सरकार ने साइबर अपराधों से व्यापक और समन्वित तरीके से निपटने के लिए तंत्र को मज़बूत करने हेतु महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।

गुरुवार को साइबर अपराधियों के खिलाफ सीबीआई ने 76 स्थानों पर छापेमारी की। इनमें से एक मामला क्रिप्टोकरेंसी धोखाधड़ी के जरिए भारतीय नागरिकों के 100 करोड़ रुपये गबन करने के रैकेट से संबंधित है। छापेमारी उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, केरल, तमिलनाडु, पंजाब, दिल्ली और पश्चिम बंगाल में विभिन्न ठिकानों पर की गई है।

इससे पहले सीबीआई के ‘ऑपरेशन चक्र’ के तहत 26 साइबर अपराधी गिरफ्तार किए गए। अभियान का उद्देश्य भारत में इन अंतर्राष्ट्रीय साइबर अपराध गिरोहों के बुनियादी ढांचे को खत्म करना और अपराधियों को न्याय के दायरे में लाना है। पिछले सप्ताह भारत और फ्रांस ने साइबर, अंतरिक्ष और कृत्रिम बुद्धि में सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई है। उम्मीद की जा सकती है कि भारत-फ्रांस रणनीतिक साझेदारी को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे। 

अंतर्राष्ट्रीय संगठित साइबर अपराध के खिलाफ भारत की लड़ाई ने इस प्रकार एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया है। राष्ट्रव्यापी बढ़ते जोखिमों को नियंत्रित करने के लिए सतर्कता के साथ निरंतर प्रयास महत्वपूर्ण हैं। फिर भी भारत के साथ-साथ दुनिया भर में प्रौद्योगिकी पर मनुष्यों की बढ़ती निर्भरता के साथ साइबर कानूनों को गति बनाए रखने के लिए निरंतर उन्नयन और परिशोधन की आवश्यकता है।

साइबर अपराध की उन चुनौतियों से निपटने के लिए अभिनव विचारों और तकनीकी समाधानों की पहचान करना है जिनका सामना हमारी कानून प्रवर्तन एजेंसियों और आम नागरिकों को करना पड़ रहा है। साइबर अपराधों को कम करने और जालसाजों के प्रयासों पर अंकुश लगाने के लिए साइबर अपराध कानून निर्माताओं को साइबर सुरक्षा परिदृश्य में संभावित खामियों से अवगत होने और उन्हें वास्तविक समय में ठीक करने की आवश्यकता है।