अमित शाह ने कहा- सिख विरोधी दंगों के पीड़ितों को न्याय मिलने की शुरुआत 2014 के बाद ही हुई

अमित शाह ने कहा- सिख विरोधी दंगों के पीड़ितों को न्याय मिलने की शुरुआत 2014 के बाद ही हुई

नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को कहा कि 1984 के सिख विरोधी दंगों के पीड़ितों को न्याय मिलने की शुरुआत 2014 में नरेन्द्र मोदी सरकार बनने के बाद ही हुई।

यहां दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि 2014 के बाद 1984 के दंगों से संबंधित 300 मामले फिर से खोले गए और प्रत्येक मृतक के परिवार को 5 लाख रुपये का मुआवजा दिया गया।

ये भी पढ़ें- इजराइल से लौटे भारतीयों की खौफनाक दास्तां : सायरन की आवाज से टूटी नींद, शिविरों में गुजारा वक्त

उन्होंने कहा, ‘‘1984 के दंगों को कोई नहीं भूल सकता। मोदी सरकार के सत्ता में आने तक उन दंगों के मामले में किसी को सजा नहीं हुई। कई जांच आयोग बने, लेकिन नतीजा नहीं निकला। लेकिन मोदी ने एसआईटी बनाई, 300 मामले दोबारा खोले और जो दोषी थे उन्हें जेल भेजना शुरू किया।

’’ शाह ने कहा कि इतने सालों के बाद मोदी सरकार ने 3,328 मृतकों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपये मुआवजा देने की प्रक्रिया को पूरा किया गया। सिख गुरुओं को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि सिख समुदाय के लोग धर्म और कर्म दोनों को समान रूप से लेकर आगे बढ़ते हैं और जब धर्म के लिए बलिदान की बात आती है तो एक सच्चा सिख कभी पीछे नहीं हटता।

उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संघर्ष के दिनों से आज देश की सुरक्षा तक सिख भाइयों का बलिदान बेमिसाल है। शाह ने सिख गुरुओं को श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा, ‘‘मैं सिख धर्म की गुरु परंपरा के सामने सिर झुकाता हूं।

सिख पंथ की 10 पीढ़ियों की गुरु परंपरा ने दुनिया के सामने हमलावरों के अन्याय और बर्बरता के खिलाफ संघर्ष और बलिदान का एक उत्कृष्ट उदाहरण पेश किया है।’’ उन्होंने कहा कि नौवें सिख गुरु तेग बहादुर का देश के लिए योगदान कभी नहीं भुलाया जा सकता। शाह ने कहा कि कश्मीर की जनता पर मुगल शासक औरंगजेब के अत्याचारों के खिलाफ उनका सर्वोच्च बलिदान उनकी महानता को दर्शाता है।

गृह मंत्री ने कहा कि जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरु तेग बहादुर की स्मृतियों का उत्सव मनाने का फैसला किया था तो निर्णय लिया गया था कि उनके स्तुतिगान की शुरुआत लाल किले पर उसी स्थान से होगी जहां उनके बलिदान की घोषणा की गयी थी।

सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव के संदर्भ में शाह ने कहा कि उन्होंने कई देशों में सभी धर्मों में समानता का पाठ पढ़ाया। उन्होंने कहा, ‘‘उनके चरण कर्नाटक से लेकर मक्का तक पड़े थे। निस्वार्थ प्रेम के संदेश को प्रसारित करने के लिए उन दिनों इतनी लंबी पैदल यात्रा की कोई कल्पना नहीं कर सकता था।’’ शाह ने सिख धर्म में महिलाओं के सशक्तीकरण की परंपरा का भी उल्लेख किया। 

ये भी पढ़ें- आबकारी नीति मामला: संजय सिंह की बढ़ी मुश्किलें, 27 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में भेजा गया

ताजा समाचार

'इस्तेमाल' की हुई अभ्यास पिचों से नाखुश भारत, एमसीजी क्यूरेटर ने कहा- प्रोटोकॉल का पालन किया 
भगत सिंह को बहुरुपिया और आरामतलबी बताने पर विवाद...कानपुर लिटरेचर फेस्टिवल में आयोजक को मांगनी पड़ी माफी
मुजफ्फरनगर: 32 साल से बंद था शिव मंदिर, दोबारा खोला गया, भक्तों ने किए दर्शन
अभिनेता मुश्ताक खान अपहरण कांड के मुख्य आरोपी का एनकाउंटर, पैर में लगी गोली...25 हजार का इनाम था घोषित
Kanpur: कूड़ा फेंका या जलाया तो आज से जुर्माना; शहर के हर जोन में सेवानिवृत्त फौजी रखेंगे हरकत पर नजर
UPSC धोखाधड़ी मामले में पूजा खेडकर को अग्रिम जमानत देने से हाईकोर्ट ने किया इनकार