बरेली: फलक के नजारों जमी की बहारों, ईद मनाओ हुजूर आ गए हैं...

बरेली, अमृत विचार। ईद मिलादुन्नबी पर गुरुवार को हर तरफ सिर्फ पैंगबर-ए-इस्लाम के यौम-ए-पैदाइश का जश्न देखने को मिला। इस मौके पर जुलूस-ए-मोहम्मदी अंजुमन खुद्दामें रसूल की ओर से घंटा घर से निकाला गया। जिसकी सरपरस्ती दरगाह प्रमुख मौलाना सुब्हानी मियां और सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां ने की। रंग बिरंगे लिबास और साफे पहने अंजुमनों में शामिल लोग आकर्षित करते रहे। करीब 200 अंजुमनों ने जुलूस में हिस्सा लिया।
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दरगाह आला हजरत के मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने बताया कि कायदे जुलूस सुब्हानी मियां ने सुबूर रजा को परचम-ए-रिसालत सौंपकर हरी झंडी दिखाई और जुलूस रवाना किया। जुलूस का रास्तों में जगह जगह फूलों से इस्तकबाल किया गया। रंग-बिरंगी पोशाक, पगड़ी और जुब्बा पहने लोग अंजुमन की शक्ल में सरकार की आमद मरहबा-दिलदार की आमद मरहबा, खुशियां मनाओ सरकार आ गए आदि नारों के साथ चले। सबसे आगे पीर बहोड़ा की अंजुमन गुलशन-ए-नूरी चली। जुलूस शुरू होने से पहले स्टेज पर मौलाना अब्दुल हलीम ने तिलावत ए कुरान से आगाज किया। मोहम्मद शादाब ने नात व मनकबत का नजराना पेश किया।
मुफ्ती सलीम नूरी ने तकरीर में कहा कि हमारे नबी ने अगड़े-पिछड़ों, ऊंच-नीच का भेदभाव को खत्म कर सबको बराबरी का दर्जा दिया। यह जुलूस नबीरे आला हजरत रेहान-ए-मिल्लत की देन है। सैयद आसिफ मियां और सभी अंजुमनों के सदर मंच पर पहुंचे। जिनका अंजुमन खुद्दामें रसूल के सचिव शान अहमद रजा ने दस्तारबंदी कर स्वागत किया। अंजुमन खुद्दामे रसूल के सदस्य उवैस खान, पम्मी वारसी, हाजी शावेज हाशमी, डॉ अनीस बेग, डॉ. नफीस खान आदि की भी दस्तारबंदी की गई।
डीजे लाने वाली अंजुमन जुलूस से बाहर
जुलूस में मुख्य रूप से अंजुमन अनवारे मुस्तफा, अंजुमन गौसुल वरा, अंजुमन आशिकाने रजा, अंजुमन जानिसारने रसूल, अंजुम कुर्बान-ए-रसूल, अंजुमन रजा-ए-मिल्लत,अंजुमन फैज़ुल कुरान शामिल रहीं। यूं तो उलमा की अपील का असर इस बार नजर आया, लेकिन फिर भी कुछ अंजुमनें डीजे लेकर पहुंचीं तो उनको जुलूस से बाहर कर दिया गया। नासिर कुरैशी ने बताया कि मंच के सामने से जो अंजुमन डीजे लेकर निकल रही थीं, उसके पदाधिकारियों को फटकार लगाई गई है।
व्यवस्था संभालने वाले स्वयं सेवकों की दस्तारबंदी
डॉ. अनीस बेग ने जुलूस की व्यवस्था संभालने वाले सभी स्वयं सेवकों की दस्तारबंदी की। जिसमें राशिद अली खान,हाजी जावेद खान, अजमल नूरी, ताहिर अल्वी, शाहिद नूरी, परवेज नूरी, औररंगजेब नूरी, शारिक बरकाती, आलेनबी, नईम नूरी, इशरत नूरी, शाहीन रजा राजू, राशिद हुसैन, सैयद माजिद, मंजूर रजा आदि की दस्तारबंदी कर उनका हौसला बढ़ाया।
बदले रास्ते से निकाला जुलूस-ए-मोहम्मदी
अंजुमन खुद्दामे रसूल के सचिव शान रजा बताते हैं कि जुलूस-ए-मोहम्मदी की शुरुआत चादरों के जुलूस की शक्ल में चालीस साल पहले घंटाघर से ही हुई थी। बाद में यह जुलूस कोहाड़ापीर पेट्रोल पंप से निकाला जाने लगा। इस साल ये जुलूस पुल निर्माण के कारण कुतुबखाना घंटाघर से शुरू होकर डाकखाना के रास्ते कुतुबखाना सब्जी मंडी, जिला अस्पताल, कुमार सिनेमा, नावेल्टी चौराहा से राजकीय इंटर कॉलेज, करोलान, बिहारीपुर के रास्ते देर रात दरगाह आला हजरत पहुंचकर खत्म हुआ।
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