हल्द्वानी: तीन अमेरिकी नागरिकों समेत चार पर फर्जी पावर ऑफ अटॉर्नी बनाने का आरोप

हल्द्वानी, अमृत विचार। अमेरिका निवासी महिला ने तीन अमेरिकी नागरिकों व हल्द्वानी निवासी एक व्यक्ति पर जालसाजी कर पावर ऑफ अटॉर्नी बनाने और संपत्ति हड़पने का आरोप लगाया है। पुलिस ने इस मामले में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
नेहा एस भट्ट पुत्री स्व. सुरेश चंद्र भट्ट निवासी न्यूजर्सी, अमेरिका ने पुलिस को तहरीर सौंप कर बताया कि उसकी मां दीपा भट्ट हल्द्वानी में नवाबी रोड पर रहती हैं। आरोप लगाया कि भरत दीक्षित निवासी आनंदीपुरम ने तीन अमेरिकी नागरिकों अरुण शर्मा निवासी, महेश चंद्र शर्मा और सुनील कुमार शर्मा के साथ मिलकर जालसाजी की।
तीनों अमेरिका के अलग-अलग शहरों के रहने वाले हैं। उन्होंने बताया कि अरुण कुमार शर्मा और सुनील कुमार शर्मा जन्म से अमेरिकी हैं, इनके पिताजी महेश चंद्र शर्मा वर्ष 1977 से यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका के नागरिक है। इन तीन अमेरिकी नागरिकों ने पावर ऑफ अटॉर्नी के माध्यम से उनके (नेहा भट्ट) के घर का पता दर्शाते हुए भारतीय होने का दावा किया है। जबकि तीनों पिछले 40 सालों से कभी भी भारत के निवासी के रूप में नहीं रहे हैं।
उनकी पावर ऑफ अटॉर्नी जाली और फर्जी हैं, इनमें उनकी निवास स्थिति के तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है, इनमें अमेरिकी नागरिकता जानबूझकर छिपाई गई है। अमेरिका स्थित भारतीय दूतावास ने भी इसकी पुष्टि की है कि उक्त पावर ऑफ अटॉर्नी दूतावास की ओर से प्रमाणित नहीं है। पावर ऑफ अटॉर्नी में नोटरी अमेरिका की है जबकि गवाह हल्द्वानी के हैं। पावर ऑफ अटॉर्नी देने वालों, गवाहों के आईडी प्रूफ, एड्रेस प्रूफ और हस्ताक्षर किसी सरकारी प्रक्रिया से प्रमाणित नहीं है।
वर्ष 2012 की पीओए में तो अटॉर्नी देने वाली विमला शर्मा ही गवाह भी बनी है जिससे जालसाजी साफ है। अन्य तीन पावर ऑफ अटॉर्नी में भी अमेरिका से कोई गवाह नहीं है बल्कि हल्द्वानी के दो गवाह हैं। इनकी अटॉर्नी का भारतीय दूतावास से सत्यापन नहीं किया गया है जबकि नियमानुसार सत्यापन अनिवार्य है। नेहा ने आरोप लगाया कि भरत दीक्षित के साथ मिलकर तीनों ने संपति हड़पने की कोशिश कर रहे हैं। उनके वृद्ध पिता पिता से ईमेल पर इस झूठे केस को वापस लेने के लिए संपत्ति का मुआवजा मांगा जा रहा है। फर्जी पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए परिवार का उत्पीड़न कर रहे हैं उनकी नीयत संपत्ति हड़पना है।