हल्द्वानी: मंडलायुक्त ने रजिस्ट्री दफ्तर में की छापेमारी, लैंड फ्रॉड रोकने के लिए जारी प्रारूप के अनुपालन की जांच की

हल्द्वानी: मंडलायुक्त ने रजिस्ट्री दफ्तर में की छापेमारी,  लैंड फ्रॉड रोकने के लिए जारी प्रारूप के अनुपालन की जांच की

हल्द्वानी, अमृत विचार। मंडलायुक्त दीपक रावत ने रजिस्ट्री दफ्तर में छापेमारी की। उन्होंने रजिस्ट्री में सरकार की ओर से जारी मानकों, सीसीटीवी, रिकॉर्ड आदि का जायजा लिया। सख्त लहजे में कहा कि अवैध ढंग से बसाई जा रही कॉलोनियों की खरीद फरोख्त नहीं होने दी जाएगी।

मंडलायुक्त रावत दोपहर करीब 1 बजे प्रशासनिक अमले के साथ नैनीताल रोड स्थित निबंधन कार्यालय पहुंचे। उन्होंने सबसे पहले रजिस्ट्री में भूमि में धोखाधड़ी रोकने के लिए बनाए प्रारूप (इसमें क्रेता-विक्रेता खरीदी गई भूमि का रकबा, सौदे के बाद बची हुई भूमि का रकबा वगैरह) का अनुपालन हो रहा है या नहीं इसकी जांच की।

सख्त निर्देश दिए कि प्रारूप में क्रेता-विक्रेता दोनों के हस्ताक्षर होने अनिवार्य हैं। इस तरह भूमि के सौदों में धोखाधड़ी रोकने में मदद मिलेगी। इसके बाद मंडलायुक्त ने रिकॉर्ड और सीसीटीवी चेक किए। जांच में सीसीटीवी काम करते मिले और पता चला कि वर्ष 1990 के बाद के सभी अभिलेख ऑनलाइन कर दिए गए हैं।

इसके बाद उन्होंने तहसील में संचालित हो रही पार्किंग का निरीक्षण किया। प्रतीक्षा स्वयं सहायता समूह की ओर से पार्किंग का शुल्क लिया जा रहा है। मंडलायुक्त ने पार्किंग शुल्क रसीद भी देखी। रसीद में तारीख और शुल्क राशि अंकित नहीं होने पर नाराजगी जाहिर की। तहसीलदार सचिन कुमार को ऐसी लापरवाही नहीं बरतने के निर्देश दिए।

तहसील परिसर में गंदगी पर तहसीलदार की फटकार लगाई। तहसीलदार को हिदायत दी कि स्टांप विक्रेता जनता से नियमानुसार शुल्क ही लें इसकी नियमित मॉनीटरिंग की जाए। इस दौरान सिटी मजिस्ट्रेट ऋचा सिंह, सब रजिस्ट्रार गोपाल सिंह बिष्ट, संदीप तिवारी, तहसीलदार सचिन कुमार आदि मौजूद रहे।      

 जिन कॉलोनियों में खरीद फरोख्त पर रोक है, यदि वहां की रजिस्ट्री हो रही तो होगी जांच 
मंडलायुक्त ने सब रजिस्ट्रार से कहा कि अवैध ढंग से बसाई जा रही कॉलोनियों जिन पर रेरा और जिला विकास प्राधिकरण ने भूमि की खरीद फरोख्त पर रोक लगाई वहां रजिस्ट्री नहीं होनी चाहिए। साथ ही जहां प्लॉटिंग की जा रही है, उनमें नालियां, पार्क वगैरह आदि सुविधाएं भी देखी जानी चाहिए ताकि बाद में परेशानी नहीं हो।

प्लॉटिंग मानकों के आधार पर होनी चाहिए। प्लॉटिंग से पहले नक्शा जिला विकास प्राधिकरण से मंजूर करना जरूरी है। इससे प्लॉट क्रेता-विक्रेता दोनों को भविष्य की समस्याओं से निजात मिलेगी। यदि रोक के बाद भी कॉलोनियों की भूमि की खरीद फरोख्त हो रही है तो उसकी जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी। 

 

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