हल्द्वानी: हाईवे वाली प्रापर्टी की ‘गलियों’ में रजिस्ट्री
50 से 60 रजिस्ट्रियां होती हैं हल्द्वानी में प्रतिदिन

3 तहसीलों नैनीताल, हल्द्वानी व रामनगर में होती है रजिस्ट्री
अंकुर शर्मा, हल्द्वानी, अमृत विचार। भूमाफिया जमीनों की रजिस्ट्री में सड़क का ‘चेहरा’ बदल कर स्टांप ड्यूटी में सरकार को लाखों-करोड़ों की चोट पहुंचा रहे हैं। स्टांप ड्यूटी शुल्क बचाने के लालच में खरीदार भी इस जाल में फंसते जा रहे हैं। हैरानी यह है कि जिम्मेदारों को इसकी भनक नहीं है या फिर वो जानबूझकर अनजान बने हुए हैं।
राज्य सरकार ने इसी वर्ष फरवरी माह में जमीनों के सर्किल रेट में वृद्धि की थी। इस संशोधन में पहली बार जमीन के सर्किल रेट हाईवे, मेन रोड, आंतरिक रोड, कनेक्टेड रोड से दूरी के आधार पर तय किए गए थे। सड़क से जमीन जितनी पास होगी सर्किल रेट उतने ही ज्यादा होंगे। यदि जमीन सड़क से दूर होगी तो सर्किल रेट भी कम होंगे। इसका मकसद लैंड माफिया और जमीनों के दामों में बेतहाशा वृद्धि पर काबू, उपभोक्ताओं को फायदा, राजस्व में वृद्धि था।
ऐसे समझिए सर्किल रेट तय होने का गणित
इसे ऐसे समझिए कि यदि कोई भूमि नैनीताल हाईवे, बरेली हाईवे, रामपुर हाईवे से 100 मीटर के दायरे में मौजूद है तो सर्किल रेट ज्यादा होंगे। यह दूरी 200 मीटर हो जाएगी तो सर्किल रेट कम हो जाएंगे। दूरी जितनी बढ़ती जाएगी रेट उतने ही कम होते जाएंगे। इसी तरह आंतरिक रोड, कनेक्टेड रोड, ग्रामीण मार्ग से दूरी के आधार पर जमीनों के सर्किल रेट तय होते हैं।
ऐसे लगा रहे भूमाफिया राजस्व को चपत
भूमाफिया सरकार के नियमों में ही ‘खेला’ कर स्टांप ड्यूटी में लाखों-करोड़ों के राजस्व का नुकसान कर रहे हैं। उदाहरण के लिए यदि कोई भूमि रामपुर रोड (हाईवे) से 50-70 मीटर की दूरी पर है तो इसमें सर्किल रेट ज्यादा लगेंगे और स्टांप ड्यूटी भी अधिक देनी होगी। अब भूमाफिया यह कर रहे हैं कि इसी भूमि को हाईवे या मेन रोड से 50 मीटर की दूरी पर नहीं दर्शाकर इसके विपरीत किसी अन्य आंतरिक या ग्रामीण मार्ग पर दर्शा रहे हैं। ऐसे में जमीन की सरकारी कीमत कम हो जा रही है। भूमाफिया तो खरीदार से जमीन का दाम हाइवे से सटे होने के हिसाब से वसूल कर चट कर जा रहे हैं लेकिन सर्किल रेट कम होने से स्टांप ड्यूटी को चपत लग रही है। सिर्फ कागजों में हेरफेर से राजस्व को रोजना लाखों करोड़ों की चपत लग रही है।
नक्शा मंजूर कराने पहुंच रहे तो खुल रही पोल
भूमाफिया तो सर्किल रेट में खेला कर खरीदार से सौदा कर देते हैं। अमूमन खरीदार घर बनाने के जमीन खरीदता है। वह जब जिला विकास प्राधिकरण में नक्शे के लिए आवेदन करता है तो पेच फंस जाता है। दरअसल, प्राधिकरण का शुल्क भी सड़क से दूरी के आधार पर तय होता है। रजिस्ट्री और नक्शे में सड़क से अंतर होने पर नक्शा पास कराने में परेशानी होती है। कई दफा नक्शा पास नहीं होता है और खरीदार चक्कर काटता रह जाता है। ऐसे कई मामले प्राधिकरण में लंबित हैं।
रजिस्ट्री में सभी कोआर्डिनेट्स अनिवार्य तौर पर सही दिखाना चाहिए। साथ ही जमीन से नजदीकी सड़क को रजिस्ट्री में दिखाया जाता है न कि अधिक दूरी वाली को। यदि कोई सड़क से दूरी में हेरफेर कर रजिस्ट्री करता है तो जांच होने पर क्रेता से बाकी की स्टांप ड्यूटी वसूली जाएगी। यह निरंतर होने पर सरकार के साथ धोखाधड़ी माना जाएगा, जोकि कानूनन जुर्म है।
- महेश कुमार, सहायक महानिबंधक, हल्द्वानी