अमरोहा: किसानों का दूध फैक्ट्री गेट पर हंगामा, जीएम से नोकझोंक...किसानों ने सड़क पर बहाया दूध
फैक्ट्री प्रबंधन पर लगाया गाय का दूध न लेने का आरोप

फैक्ट्री गेट के बाहर सड़क पर दूध बहाते किसान।
अमरोहा/गजरौला, अमृत विचार। थाना क्षेत्र के संभल-हसनपुर मार्ग स्थित दूध फैक्ट्री के गेट पर कई गांवों के किसानों व दूध आपूर्तिकर्ताओं ने फैक्ट्री प्रबंधन पर गाय का दूध न लेने का आरोप लगाते हुए हंगामा किया। उनका कहना था कि फैक्ट्री प्रबंधन गाय का दूध लेने से इंकार कर रहा है। जिससे किसानों का कई क्विंटल दूध खराब होने की कगार पर था। किसानों ने विरोध जताते हुए फैक्ट्री के सामने ही सड़क पर सैकड़ों लीटर दूध बहा दिया। हंगामा होता देख फैक्ट्री प्रबंधन बैकफुट पर आ गया और किसानों की मांग मान ली। इसके बाद किसान शांत हुए।
मंगलवार को गजरौला के संभल-हसनपुर मार्ग पर स्थित दूध फैक्ट्री में लगभग 350 डेरियों से दूध आपूर्तिकर्ता गाड़ियां लेकर पहुंचे थे। फैक्ट्री प्रबंधन ने बीते दो दिन पहले भी कई आपूर्तिकर्ताओं का दूध गुणवत्ता पर खरा न उतरने की वजह से अस्वीकार कर दिया था। मंगलवार को लगभग 36 दूध की गाड़ियों से गाय का दूध लेने से मना कर दिया। दूध आपूर्तिकर्ता ने बताया कि वह कई साल से गाय-भैसों का दूध फैक्ट्री में भिजवा रहे हैं, लेकिन फैक्ट्री प्रबंधन बिना बताए गाय का दूध लेने से इनकार कर रहा है। कभी गाय के दूध को खराब बता रहा है तो कभी दूध में पौस्टिक तत्व कम बता दूध को वापस कर रहा है। फैक्ट्री प्रबंधन का कहना था कि गाय के दूध में 28 आरएम प्रोटीन की मात्रा होनी चाहिए।
अधिकांश गांवों में गाय पाली जा रही हैं, उनके दूध में आरएम की मात्रा इन दिनों कम आ रही है। जिसका हवाला देकर फैक्ट्री प्रबंधक अपनी मनमानी कर रहा है। इससे नाराज किसानों और दूध आपूर्तिकर्ताओं श्याम सिंह, सोनू, सोमेश, लोकेश शर्मा, वीरपाल, मोनू सिंह, मिंटू, चमन सिंह, पुष्पेंद्र सिंह समेत आदि फैक्ट्री के गेट पर पहुंचे और नारेबाजी करते हुए धरना-प्रदर्शन किया।
प्रबंधन से वार्ता के दौरान अभद्र व्यवहार से नाराज होकर किसानों ने दूध को फैक्ट्री के सामने ही सड़क पर बहा दिया। किसानों का गुस्सा देख फैक्ट्री प्रबंधन को बैकफुट पर आ गया। दूध आपूर्तिकर्ताओं व किसानों की बात मानते हुए फैक्ट्री प्रबंधन ने आठ दिन तक 27 आरएम सैंपल का दूध लेने बात कही है। उसके बाद 27.5 आरएम सैंपल से कम दूध नहीं लिया जाएगा। इस फैसले पर किसानों और दो आपूर्तिकर्ताओं के बीच सहमति बनी। इसके बाद किसानों का गुस्सा शांत हुआ। प्रदर्शन के दौरान कंपनी के जीएम ने भारतीय किसान यूनियन के पदाधिकारियों के साथ अभद्र भाषा पर गलती मानते हुए माफी मांगी।
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