World Population Day: विश्व जनसख्या दिवस आज, नसबंदी से दूर भाग रहे पुरुष, महिलाओं के भरोसे फैमिली प्लानिंग
पुरुष नसबंदी कराने में पिछले साल का भी आंकड़ा नहीं छू पाया स्वास्थ्य विभाग

लखनऊ/अमृत विचार। परिवार नियोजन को लेकर स्वास्थ्य विभाग लगातार जागरूकता अभियान चलाता है। इसकी जिम्मेदारी ज्यादातर आशा कार्यकर्ताओं को दी गई है। इस अभियान में हर साल करीब दो हजार कार्यकर्ता घर-घर जाकर जागरूक करते हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर भी काउंसलिंग की जाती है। इसका नतीजा जहां महिलाओं में सकारात्मक दिखता है, वहीं पुरुषों में इसका उलट है।
इस वर्ष 2022-23 के आंकड़ों में स्वास्थ्य विभाग पिछले साल 2021-22 के भी आंकड़े को नहीं छू पाया है, हलांकि महिलाओं में नसबंदी कराने का आंकड़ा बढ़ा है, जो स्वास्थ्य विभाग के लिए राहत देने वाला है। इसको लेकर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. मनोज अग्रवाल का कहना है कि पुरुष नसबंदी के बाद किसी भी तरह की शारीरिक या यौन कमजोरी नहीं आती है। यह पूरी तरह सुरक्षित और आसान है। लेकिन अधिकांश पुरुष- अभी भी इसे अपनाने में हिचक रहे हैं क्योंकि कहीं ना कहीं समुदाय में अभी भी पुरुष नसबंदी से संबंधित जानकारी का अभाव है।
वहीं, महिलाओं में नसबंदी की प्रक्रिया पुरुषों की अपेक्षा ज्यादा जटिल होती है। इसके अलावा पुरुष नसबंदी से न तो शारीरिक कमजोरी आती है और न ही संक्रमण का डर रहता है। इसके लिए बहुत सामान्य सा आपरेशन है जिसमें आधे घंटे से भी कम का समय लगता है। यहा तक कि लाभार्थी को अस्पताल में रहने की जरूरत भी नहीं पड़ती तथा वह आपरेशन के आधे घंटे के बाद अपने घर भी जा सकते हैं।
उनमें किसी भी प्रकार के शारीरिक बदलाव या दिनचर्या पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है और न ही नसबंदी से भविष्य में किसी तरह की स्वास्थ्यजनित समस्या होती है। पुरुष नसबंदी को लेकर पुरुषों को अपनी सोच बदलने की जरूरत है और यह समझना है कि परिवार नियोजन अकेले पत्नी की जिम्मेदारी नहीं है।
परिवार नियोजन का दो साल का आंकड़ा
वर्ष पुरुष नसबंदी महिला नसबंदी
2021-22 347 4844
2022-23 293 6113
कंडोम वितरण का आंकड़ा पिछले वर्ष 26,28,912 था, जबकि इस साल बढ़कर 33,66,211 हो गया। वहीं, महिलाओं ने गर्भनिरोधक गोलियां, कॉपर टी सहित अन्य परिवार नियोजन साधन पिछले वर्ष 4,04,863 इस्तेमाल किए, जबकि इस वर्ष यह आंकड़ा बढ़कर 5,00982 रहा।
पुरुष नसबंदी के लिए योग्यता
पुरुष नसबंदी परिवार नियोजन के लिए पुरुषों द्वारा अपनाया जाने वाला एकमात्र स्थायी साधन है। इसलिए यह जरूरी है कि नसबंदी के समय लाभार्थी की उम्र 22 वर्ष से कम या 60 वर्ष से ज्यादा नहीं हो। लाभार्थी शादीशुदा हो। लाभार्थी कम से कम एक बच्चे का पिता हो और मानसिक रूप से स्वस्थ हो।
पुरूष नसबंदी बढ़ाने में स्वास्थ्य विभाग प्रयासरत
स्वास्थ्य विभाग के जनसंपर्क अधिकारी योगेश रघुवंशी ने बताया कि जिले में पुरुष नसबंदी की स्थिति में सुधार लाने के लिए स्वास्थ्य विभाग सघन प्रयास कर रहा है। यहां तक कि महिलाओं की तुलना में पुरुषों को नसबंदी कराने के लिए दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि को भी ज्यादा रखा गया है। नसबंदी के लिए पुरुष लाभार्थी को 3,000 रुपए दिया जाता है। जबकि महिला नसबंदी के लिए लाभार्थी को 2000 रुपए दिया जाता है। वहीं, यदि महिला प्रसव के तुरंत बाद नसबंदी कराती है तो परित्साहन राशि 3,000 रुपये मिलती है।
भ्रांतियां बनीं रुकावट
आमतौर पर पुरुष सोचते हैं कि नसबंदी के बाद सेक्स में कमी आती है, जबकि उनका यह भी मानना है कि इससे वह शारीरिक रूप से भी कमजोर हो जाते हैं और मेहनत का काम नहीं कर सकते। सीएमओ मनोज मनोज अग्रवाल ने बताया कि पुरुषों में यह भ्रांति गलत है। नसबंदी से शरीर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है और नसबंदी करना आसान है। सीएमओ के मुताबिक परिवार नियोजन के लिए 27 जुलाई तक जागरूक करने के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा।
नसबंदी के बाद रखें इन बातों का ख्याल
- पुरुष नसबंदी के शुरूआती तीन महीने तक गर्भनिरोधक साधन का इस्तेमाल जरूर करें।
- 3 महीने तक असुरक्षित यौन संबंध बनाने से बचें
- यौन संक्रमण एवं एचआईवी-एड्स जैसे रोगों से बचने के लिए नसबंदी के बाद भी कंडोम का इस्तेमाल जरूर करें।
- नसबंदी कराने के बाद इसे पुन: सामान्य नहीं किया जा सकता, इसलिए खूब सोच-विचार कर तय करने के बाद ही नसबंदी कराएं।
काउंसलिंग न होना भी समस्या
जानकारों का कहना है कि महिलाओं को नसबंदी के लिए प्रेरित करने हेतु सरकारी अस्पताल में महिला डॉक्टर व अलग से महिला काउंसलर होती हैं। इससे महिलाएं आसानी से राजी हो जाती है। वहीं, पुरुषों के लिए काउंसलिंग की व्यवस्था नहीं है। लोगों का मानना है कि इसकी लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से कैंप लगाने चाहिए। ग्रामीण क्षेत्र में इसकी अधिक जरूरत है। आज भी ग्रामीण क्षेत्र में पुरुष हो या महिलाओं में नसबंदी कराने का आंकड़ा शहर की अपेक्षा बहुत कम है।
पुरुषों की नसबंदी कराने में महिलाएं भी रोड़ा
स्वास्थ्य विभाग के अफसरों का कहना है कि पुरुष की नसबंदी का आंकड़ा काफी प्रयास के बावजूद नहीं बढ़ पा रहा है। इसके पीछे कई तरह की भ्रांतियां हैं। जिसमें सबसे बड़ी वजह यह है कि ज्यादातर महिलाएं ही नहीं चाहती हैं कि उनके पति नसबंदी करवाएं। उनके अंदर भ्रांति है कि नसबंदी के बाद पुरुषार्थ में कमी आती है, जबकि यह सच नहीं है। नसबंदी से कोई भी गलत प्रभाव नहीं पड़ता है।
नहीं लग सके कंडोम वेंडिंग मशीन
जिले में सार्वजनिक स्थानों पर कंडोम वेंडिंग मशीन लगवाने की कवायद कुछ साल पहले शुरू हुई थी, लेकिन इसे चलाया नहीं जा सका। वहीं,सरकारी अस्पतालों में कंडोम के बॉक्स रखे गए हैं। लेकिन संकोच की वजह से पुरुष इस्तेमाल नहीं करते हैं।
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