प्रयागराज : सड़क दुर्घटना मामले में अविवाहित बहन मुआवजा राशि की हकदार नहीं

प्रयागराज : सड़क दुर्घटना मामले में अविवाहित बहन मुआवजा राशि की हकदार नहीं

अमृत विचार, प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सड़क दुर्घटना के मामले में दाखिल अपील पर महत्वपूर्ण आदेश पारित करते हुए कहा कि ऐसे मामलों में अविवाहित बहन मुआवजे की राशि की हकदार इसलिए नहीं मानी जाएगी, क्योंकि वह मृतक के आश्रित न होकर अपने पिता के आश्रय में रहती थी। उक्त टिप्पणी न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की एकलपीठ ने रूही अरोड़ा व एक अन्य की याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए दी।

मामले के अनुसार अपीलकर्ता के इकलौते बेटे विकल्प अरोड़ा की 22 अप्रैल 2011 को बुलंदशहर नोएडा रोड पर जिला गौतमबुद्ध नगर के पास ऑल्टो कार में यात्रा करते हुए सड़क दुर्घटना के दौरान मृत्यु हो गई। 33 वर्षीय विकल्प अरोड़ा हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड में टेरिटरी सेल्स ऑफिसर के रूप में कार्यरत था तथा लगभग 70 हजार रुपए प्रतिमाह कमाता था।

अपीलकर्ताओं के अलावा मृतक की पत्नी मोनिका अरोड़ा तथा दो नाबालिग बच्चों ने मोटर वाहन अधिनियम की धारा 166 के तहत 2011 में एमएसिटी, सहारनपुर के समक्ष तत्काल 50000 रुपए के अलावा 1,57,10,000 रुपए के मुआवजे का दावा किया। इसके बाद 17 अगस्त 2013 को मोटर दुर्घटना दावा ट्रिब्यूनल के आदेश से याचिका दाखिल करने की तारीख से 6% ब्याज दर के साथ 52,80,328 की मुआवजा राशि अपीलकर्ताओं को प्रदान की गई।

यहां अपीलकर्ता अविवाहित बहन को इस आधार पर कोई मुआवजा नहीं दिया गया कि उसे पिता के जीवन काल के दौरान मृत भाई पर निर्भर नहीं माना जा सकता है और ट्रिब्यूनल ने मुआवजे के रूप में दी गई राशि का 10% मृतक के पिता के पक्ष में वितरित किया तथा 60% मृतक की पत्नी के पक्ष में दिया और मृतक के आश्रित नाबालिग बच्चों के पक्ष में मुआवजे का 15% प्रत्येक को आवंटित किया।

इसके बाद वर्ष 2013 में मृतक की पत्नी ने पुनः शेष राशि के लिए दावा दाखिल किया, जिस पर वर्ष 2021 के आदेश से बीमा कंपनी और दावेदारों ने राशि के अतिरिक्त 26,25000 रुपए के पूर्ण और अंतिम विचार के लिए अपील का सौहार्दपूर्ण ढंग से निपटारा किया।

उक्त फैसले को वर्तमान अपीलकर्ताओं ने वर्ष 2020 में इस न्यायालय के समक्ष चुनौती दी, जिसे आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए फिलियल कंसोर्टियम के नुकसान के कारण अपीलकर्ताओं को 6% प्रति वर्ष के ब्याज सहित 40 हजार रुपए का भुगतान करने का निर्देश दिया गया है।

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