प्रयागराज : नया आरसी जारी करने के लिए पंजीकृत मालिक द्वारा पंजीकरण प्रमाण पत्र सरेंडर करने से इनकार करना आवश्यक शर्त नहीं

प्रयागराज : नया आरसी जारी करने के लिए पंजीकृत मालिक द्वारा पंजीकरण प्रमाण पत्र सरेंडर करने से इनकार करना आवश्यक शर्त नहीं

अमृत विचार, प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाहनों के आरसी मामले से संबंधित अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि पंजीकृत मालिक द्वारा पंजीकरण प्रमाण पत्र सरेंडर करने से इनकार करना या फरार होना मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 51 (5) के तहत पंजीकरण को रद्द करने और नया प्रमाण पत्र जारी करने की शक्ति का प्रयोग करने के लिए आवश्यक शर्तें नहीं हैं।

कोर्ट ने आगे कहा कि पंजीकृत मलिक के लिए आरसी सरेंडर करना अनिवार्य है, जिससे फाइनेंसर के नाम पर नई आरसी जारी की जा सके। अगर पंजीकृत मलिक आरसी सरेंडर नहीं करता है तो उसे फॉर्म-37 के माध्यम से सूचित किया जाता है। यह गैर विवादास्पद खंड आरटीओ को फाइनेंसर के प्रति नया आरसी जारी करने का अधिकार देता है। उक्त आदेश न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता और न्यायमूर्ति मनीष कुमार निगम की खंडपीठ ने शाहरुख सलीम की याचिका खारिज करते हुए दिया। न्यायालय ने माना कि जब पंजीकृत मलिक ऋण चुकाने में विफल रहता है तो फाइनेंसर अपने नाम पर नया पंजीकरण प्रमाण पत्र जारी करवा सकता है।

मामले के अनुसार याची ने एक ट्रक खरीदने के लिए प्रतिवादी से वित्तीय सहायता ली थी और पुनर्भुगतान में चूक के कारण प्रतिवादी ने वाहन पर कब्जा कर लिया तथा अपने नाम पर नया पंजीकरण प्रमाण पत्र जारी करने के लिए संबंधित आरटीओ के समक्ष फॉर्म-36 दाखिल किया। इसके बाद फार्म-37 (वाहन के पंजीकृत मलिक का पंजीकरण रद्द कर फाइनेंसर के नाम पर नया पंजीकरण प्रमाण पत्र जारी करने के लिए आत्मसमर्पण करने का नोटिस) याची को जारी किया गया, जिसमें याची से प्रतिवादी के लिए आरसी के हस्तांतरण पर आपत्तियां आमंत्रित की गई थीं।

आपत्तियों के जवाब में प्रतिवादी ने कहा कि समझौते के अनुसार ऋण चुकाने में पंजीकृत मलिक की ओर से हुई चूक के कारण वाहन को कब्जे में ले लिया गया है। इस पर सहायक क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (प्रशासन), बरेली ने अधिनियम की धारा 51 (5) के तहत शक्ति का प्रयोग करते हुए 14 जून 2023 को प्रतिवादी के पक्ष में नया आरसी देने का निर्देश दिया। इस आदेश को चुनौती देते हुए याची ने कोर्ट में तर्क दिया कि उक्त अधिनियम की धारा 51(5) केवल उस स्थिति में लागू की जा सकती है, जब पंजीकृत मलिक पंजीकरण प्रमाण पत्र देने से इनकार कर देता है।

मौजूदा मामले में मूल आरसी उस समय वाहन में पड़ा था, जब प्रतिवादी ने इसे अपने कब्जे में लिया। अतः यहां आरसी देने से इनकार करने का मामला नहीं बनता है। अंत में न्यायालय ने पाया कि याची ऋण राशि और उसके पुनर्भुगतान के संबंध में अदालत को जवाब देने में असमर्थ था, इसलिए याचिका खारिज कर दी गई।

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