बरेली: गरीब भक्तों के भी हैं काशी विश्वनाथ... न छीनें पूजा-अर्चना करने का अधिकार
अपने संसदीय क्षेत्र में ऐसा न होने दें प्रधानमंत्री, तुरंत करें हस्तक्षेप

बरेली, अमृत विचार। काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन और आरती का शुल्क सावन के दौरान दोगुने तक बढ़ा दिए जाने पर शहर के संतों ने तीव्र प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने इसे धर्म विरुद्ध बताते हुए आशंका जताई है कि इतना ज्यादा शुल्क होने पर भगवान शिव के कमजोर वर्ग के लाखों भक्त उनकी पूजा-अर्चना करने से वंचित हो जाएंगे। संतों का कहना है कि वाराणसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है, इसलिए उन्हें तुरंत इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए।
संतों का कहना है कि वाराणसी में काशी विश्वनाथ का मंदिर सनातन धर्म के लोगों की आस्था का देश भर में प्रमुख केंद्र है। इस मंदिर के गर्भगृह में विराजमान भोलेनाथ के दर्शन के लिए देश ही नहीं विदेशों से भी लाखों लोग पहुंचते हैं। इनमें भारी संख्या सामान्य और निर्धन वर्ग के लोगों की भी होती है, उनसे भगवान भोलेनाथ के पूजन-अर्चन का अधिकार नहीं छीना जाना चाहिए। आम शिवभक्तों का भी कहना है कि काशी विश्वनाथ मंदिर में आरती और दर्शन के लिए महंगा शुल्क लागू किया जाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। किसी और धर्म में इस तरह की व्यवस्था नहीं है।
सुगम दर्शन के लिए साढ़े सात सौ मंगला आरती के लिए दो हजार
काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास की ओर से जारी आदेश के मुताबिक सावन में दर्शन और आरती के लिए दो से चार गुना तक शुल्क बढ़ा दिया गया है। सावन के दिनों में मंगला आरती के लिए दो हजार का टिकट लेना पड़ेगा जबकि सामान्य दिनों यह शुल्क 500 रुपये का है। इस बार सावन में आठ सोमवार होंगे। इन दिनों में सुगम दर्शन के लिए तीन सौ का टिकट है जो सावन के दिनों में पांच सौ और सोमवार को साढ़े सात सौ रुपये का होगा। भोग आरती के लिए पांच सौ रुपये देने हाेंगे जो अभी तीन सौ रुपये का है। श्रद्धालुओं को सबसे ज्यादा भुगतान शृंगार के लिए करना पड़ेगा। सावन के दिनों में यह शुल्क 20 हजार रुपये तय किया गया है जबकि पहले सिर्फ 37 सौ रुपये था।
तत्काल वापस लिया जाए शुल्क बढ़ाने का निर्णय
सावन तो महादेव का सर्वाधिक प्रिय माह माना जाता है। काशी के संबंध में पौराणिक मान्यताएं हैं और धर्म ग्रंथों में भी इस पवित्र स्थान का वर्णन किया गया है। यह मंदिर सभी सनातनियों की आस्था का प्रमुख केंद्र हैं। बरेली और देश से ही नहीं, दुनिया भर से भारी संख्या में लोग काशी विश्वनाथ के दर्शन के लिए पहुंचते रहते हैं। यहां दर्शन और आरती के लिए शुल्क लिया जाना और फिर उसे इतना ज्यादा बढ़ा दिया जाना उचित नहीं है। मंदिर की सुव्यवस्था का प्रश्न है तो प्रबंधन को किसी और विकल्प पर विचार करना चाहिए। शुक्ल बढ़ाने के के निर्णय को तत्काल वापस लेना चाहिए - नीरज नयन दास, महंत तुलसी मठ।
सामान्य भक्तों को होगी कठिनाई, प्रधानमंत्री करें हस्तक्षेप
हमारे मंदिरों में महादेव के दर्शन और आरती के लिए शुल्क का लगाया जाना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है। यह निर्णय धर्म को क्षति पहुंचाने वाला है जिसके पीछे विधर्मी लोग हो सकते हैं। वाराणसी प्रधानमंत्री का भी संसदीय क्षेत्र है, इसलिए उन्हें भी इस विषय में हस्तक्षेप करना चाहिए। काशी विश्वनाथ मंदिर में इस शुल्क वृद्धि से सामान्य वर्ग के शिव भक्तों को कठिनाई का सामना करना पड़ेगा। धर्म की रक्षा के लिए प्राचीन काल से युद्ध होता आया है। धर्म की रक्षा के लिए संत समाज हर मंच से पूरी सुदृढृता के साथ जुटा हुआ है। हम इस निर्णय का पुरजोर विरोध करते हैं - रामायण दास, महंत जगन्नाथ मंदिर।
हमारे मंदिरों में वसूली होगी तो किसी और को क्या कहेंगे
काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन, आरती और शृंगार के लिए शुल्क बढ़ाया जाना अनुचित ही नहीं बल्कि बहुत ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण है। इससे काशी विश्वनाथ के दर्शन के लिए जाने वाले श्रद्धालुओं को भारी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। पवित्र सावन के महीने में मंदिर प्रबंधन की ओर से शुल्क वृद्धि करने का निर्णय और ज्यादा निराशापूर्ण है। काशी विश्वनाथ से लाखों धर्म प्रेमियों की भावनाएं जुड़ी हैं जो आहत होंगी। यदि हमारे धर्म के प्रमुख मंदिरों में इस तरह की वसूली होगी तो हम और किसी को क्या कहेंगे। इस निर्णय को फौरन वापस लिया जाना चाहिए - कालू गिरि महाराज, महंत अलखनाथ मंदिर।
धर्म के नाम पर बढ़ रहा है व्यवसाय
धर्म के नाम पर व्यवसाय का चलन तेजी से बढ़ता जा रहा है। इसका बड़ा दुष्प्रभाव युवाओं पर पड़ रहा है। मंदिरों में श्रद्धालुओं से शुल्क लेना कदापि उचित नहीं है। हमारे धर्म पर आंंखें तरेरने वाले बहुत हैं लेकिन हमारे धर्म में भी विश्वासघाती कम नहीं है। काशी विश्वनाथ मंदिर में शुल्क का इस प्रकार से बढ़ाया जाना धर्म के लिए उचित नही - शिवानंद, कथावाचक।
निर्धन भक्त कैसे करेंगे आरती और दर्शन
काशी विश्वनाथ सभी के आराध्य हैं, इतना ज्यादा शुल्क बढ़ाने से निर्धन भक्तों के लिए दर्शन, आरती और बाबा का शृंगार करना बेहद चुनौतीपूर्ण हो जाएगा। हो सकता है कि धन की कमी के कारण श्रद्धालु दर्शन ही न कर पाएं। मंदिर की प्रबंध समिति को दोबारा अपने निर्णय पर विचार करने की जरूरत है- श्रवण गुप्ता, अध्यक्ष श्रीनाथ नगरी सेवा समिति।
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