कर्नाटक: मुख्यमंत्री को लेकर नहीं हो सका फैसला, मंगलवार को फिर होगी कांग्रेस नेताओं की बैठक

कर्नाटक: मुख्यमंत्री को लेकर नहीं हो सका फैसला, मंगलवार को फिर होगी कांग्रेस नेताओं की बैठक

नई दिल्ली/बेंगलुरु। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कर्नाटक में पार्टी विधायक दल का नेता चुनने को लेकर तीनों पर्यवेक्षकों के साथ सोमवार को गहन मंत्रणा की, लेकिन कोई फैसला नहीं हो सका। खरगे और पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता अब मंगलवार को भी इस विषय पर विस्तार से चर्चा करेंगे। कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने कर्नाटक में कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) का नेता चुनने के लिए वरिष्ठ नेता सुशील कुमार शिंदे, जितेंद्र सिंह और दीपक बाबरिया को पर्यवेक्षक नियुक्त किया था।

तीनों पर्यवेक्षकों ने पार्टी के नवनिर्वाचित विधायकों से अलग-अलग बात कर उनकी राय जानी थी। तीनों पर्यवेक्षक सोमवार शाम खरगे के आवास पर पहुंचे और फिर लंबी बैठक हुई। इस बैठक में कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और पार्टी के कर्नाटक प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला भी मौजूद रहे।

बैठक खत्म होने के बाद सुरजेवाला ने संवाददाताओं से कहा, " पर्यवेक्षकों ने अपनी रिपोर्ट कांग्रेस अध्यक्ष को सौंपी है... वह राज्य के नेताओं और पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ विचार विमर्श के बाद कोई फैसला करेंगे।" उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस सबको विश्वास दिलाना चाहती है कि वह 6.5 करोड़ कर्नाटकवासियों से किए गए वादों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।

पर्यवेक्षक सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी और कल फिर बैठक होगी। इस बीच, पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया आज दिन में दिल्ली पहुंच गए और उनके भी खरगे से मुलाकात करने की संभावना है। कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस के कमेटी अध्यक्ष डी के शिवकुमार भी सोमवार को दिल्ली आने वाले थे, लेकिन पेट में संक्रमण का हवाला देते हुए उन्होंने अपनी प्रस्तावित यात्रा रद्द कर दी। ये दोनों नेता मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं।

शिवकुमार ने कहा है कि वह मंगलवार को दिल्ली जाने का प्रयास करेंगे। उन्होंने बेंगलुरु में यह भी कहा कि कांग्रेस के 135 नवनिर्वाचित विधायक उनकी ताकत हैं। विधायकों की राय जानने के लिए बेंगलुरु भेजे गए पार्टी के तीनों पर्यवेक्षक सोमवार को दिल्ली लौट आए। विधायकों की राय जानने के लिए गोपनीय मतदान भी कराया गया था।

कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि कुछ विधायकों ने विधायक दल की बैठक के दौरान पर्यवेक्षकों के साथ मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री पद को लेकर अपनी पसंद बताई, हालांकि विधायक सबके सामने अपनी पसंद बताने में झिझक रहे थे, जिसके बाद उन्हें लिखित रूप से अपनी राय बताने के लिए कहा गया।

वहीं, एक विधायक ने नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर कहा, ‘‘सिद्धरमैया और शिवकुमार तथा किसी अन्य नेता को चुनना था या फिर निर्णय आलाकमान पर छोड़ना था। यह एक तरह से गोपनीय मतदान था।’’ कहा जा रहा है कि विधायकों का एक धड़ा नेता चुनने के लिए हाथ उठाकर फैसला करने के पक्ष में था, लेकिन पार्टी ने ऐसा फैसला नहीं किया, क्योंकि इससे सरेआम विभाजन की स्थिति पैदा हो जाती।

पता चला है कि सिद्धरमैया ने इस बात पर जोर दिया कि पार्टी की ओर से विधायक दल का नया नेता चुनने से पहले सभी विधायकों की राय ली जाए। कर्नाटक विधान परिषद् में नेता प्रतिपक्ष बीके हरिप्रसाद ने कहा, ‘‘पर्यपेक्षक ने विधायकों से अलग-अलग मुलाकात कर उनकी राय ली और मुख्यमंत्री के नाम को लेकर गोपनीय मतदान कराया गया।

अब पार्टी आलाकमान फैसला करेगा कि मुख्यमंत्री कौन होगा।’’ कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) की रविवार शाम बेंगलुरु के एक निजी होटल में हुई बैठक में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर पार्टी अध्यक्ष को विधायक दल का नेता चुनने का अधिकार दिया गया, जो कर्नाटक का अगला मुख्यमंत्री बनेगा।

राज्य में 224 सदस्यीय विधानसभा के लिए 10 मई को हुए चुनाव में कांग्रेस ने शानदार जीत हासिल करते हुए 135 सीट अपने नाम कीं, जबकि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा नीत जनता दल (सेक्युलर) ने क्रमश: 66 और 19 सीट जीतीं।

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