40 साल बाद टेबल की जाएगी मुरादाबाद दंगे की रिपोर्ट, लोगों के सामने आएगा सच
दो समुदायों के बीच हिंसा में कई लोग मारे गए थे, शहर में करीब एक माह तक कर्फ्यू लगा था

लखनऊ/मुरादाबाद/अमृत विचार। 40 साल पहले शहर में ईद की नमाज के बाद भड़के दंगे का सच अब सामने आएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में शुक्रवार को कैबिनेट ने शहर के दंगे की एक सदस्यीय न्यायिक जांच की रिपोर्ट को सदन के पटल पर रखने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि डॉ.शमीम अहमद खान एवं उनके समर्थकों ने ईदगाह में गड़बड़ी पैदा करने के लिए रणनीति बनाई थी। तब 70,000 लोग ईद-उल-फितर की नमाज पढ़ रहे थे। उनकी मंशा थी कि प्रशासन को बदनाम करके इसकी जिम्मेदारी बाल्मीकि समाज और पंजाबी हिंदुओं पर डालकर अपनी छवि सुधार सकें।
मामले की जांच के लिए एक सदस्यीय जांच समिति का गठन किया गया, जिसने 20 नवंबर 1983 को सौंप दी गई। पहले की सरकारों द्वारा इसकी रिपोर्ट को सदन में रखने की अनुमति नहीं दी गई। अब योगी सरकार के संज्ञान में यह मामला आया है तो इसे टेबल करने का निर्णय लिया गया। 40 साल बाद शुक्रवार को कैबिनेट में प्रस्तुत किया गया। कैबिनेट से अनुमोदन के बाद अब रिपोर्ट विधानमंडल में पेश की जाएगी। वित्त मंत्री ने बताया कि शासन में रिपोर्ट प्रस्तुत होने के बाद भी पूर्ववर्ती सरकारों ने रिपोर्ट को कैबिनेट एवं सदन के पटल पर रखने की अनुमति नहीं दी। साल 1980 से अब तक प्रदेश में 15 मुख्यमंत्री बने, लेकिन कोई भी इस रिपोर्ट को सदन के पटल पर रखने की हिम्मत नहीं जुटा सका।
मुख्यमंत्री वीपी सिंह ने गठित किया था आयोग
तत्कालीन मुख्यमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति एमपी सक्सेना की अध्यक्षता में दंगे की जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन किया था। आयोग की रिपोर्ट आने के 40 साल बीतने के बाद भी किसी भी आरोपी पर कार्रवाई नहीं की जा सकी। उस दौरान दंगे में मरने वाले लोगों की संख्या सैकड़ों में बताई गई, हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई थी। दरअसल दो समुदायों के बीच हिंसा भड़ने के बाद पुलिस को गोलियां चलानी पड़ी, जिससे कई लोग मारे गए। इसके बाद शहर में करीब एक माह तक कर्फ्यू लगा रहा।
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