Chaitra Navratri 2023 : शक्ति, सृजन की प्रतिमूर्ति है नारी, शिक्षा से दें समाज को दिशा
नमो देव्यै: चिकित्सक के फर्ज के साथ राजनीति के माध्यम से समाजसेवा को डॉ. शेफाली ने बनाया धर्म
मुरादाबाद, अमृत विचार। माता-पिता से मिले संस्कार और उच्च शिक्षा की परंपरा का निर्वाह कर चिकित्सक के फर्ज के साथ ही राजनीति के माध्यम से समाजसेवा को जिला पंचायत अध्यक्ष डॉ. शेफाली सिंह ने अपना धर्म बनाया है। वह कहती हैं कि नारी शक्ति और सृजन की प्रतिमूर्ति है। उसे उच्च शिक्षित होकर समाज को दिशा देने के लिए तत्पर रहना चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सूत्र वाक्य को कर्तव्य पथ पर मूलमंत्र मानते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में जिले की जनता की सेवा करने वाली शेफाली जिले की प्रथम नागरिक हैं। महिला शिक्षा के साथ उनके सेहतमंद होने को भी वह उतना ही महत्वपूर्ण मानती हैं। देहरादून में जन्म लेने वाली डॉ. शेफाली सिंह के पिता आर्थो सर्जन थे। वह बिजनौर के रहने वाले थे।
परिवार में शिक्षा चिकित्सा की प्राथमिकता बचपन से देखने का प्रभाव उनके दिमाग में है। इसलिए एक निजी चिकित्सक के रूप में स्त्री एवं प्रसूति रोग के फर्ज के साथ ही राजनीति में आकर वह सेवाभाव को अपना धर्म मानकर निभा रही हैं। इनकी मां भी उच्च शिक्षित थीं। अपने ननिहाल और दादा-दादी के परिवार की शिक्षा और संस्कार उनमें भरा है। लखनऊ के सिटी मांटेसरी स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा लेने के बाद 1999 में उन्होंने अलीगढ़ से एमबीबीएस किया। कोलकाता से 2008-09 में डीजीओ की डिग्री लेकर शेफाली स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ बनीं। 2011 में वह मुरादाबाद आईं। पति डॉ. ब्रजेश सिंह भी चिकित्सक हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रभावित होकर रखा राजनीति में कदम
पढ़ाई के दौरान ही राजनीति के क्षेत्र में रुचि थी। लेकिन सक्रिय राजनीति में उतरने का निर्णय 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रभावित होकर लिया। 2017 में विधायक का चुनाव लड़ने के लिए टिकट मांगा, लेकिन नहीं मिला। 2016 में भाजपा महिला मोर्चा जिला संयोजिका, 2018 में चिकित्सा प्रकोष्ठ में प्रदेश संयोजिका, 2021 में शिक्षा चिकित्सा और राजनीति में अब तक मिली पहचान के दम पर वह 2021 में वह जिला पंचायत अध्यक्ष बनीं। लेकिन चिकित्सा, शिक्षा और समाज सेवा आज भी उनकी प्राथमिकता है।
सड़कें विकास की वाहक
जिला पंचायत अध्यक्ष का कहना है कि बेहतर सड़कें किसी भी विकसित समाज की झलक दिखाती हैं। इसलिए जर्जर सड़कों को जिला पंचायत के माध्यम से ठीक कराने पर उनका जोर रहता है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी की ग्रामीण सड़क योजना और स्वर्णिम चतुर्भुज योजना को सड़कों की बेहतरी का सूत्रधार मानती हैं। वह कहती हैं कि नारी शिक्षा में सड़कों की बेहतर स्थिति से आवागमन के साधन बढ़ते हैं। जिससे उसकी उच्च शिक्षा में अड़चन दूर होती है।
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