SGPC ने की सरकार से सिख और सिंधी समाज में फूट डालने वाली कार्रवाइयों को रोकने की अपील

अमृतसर। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) की ओर से सिंधी समाज के मामले में स्थानीय सिखों और सिंधी समाज के नेताओं से चर्चा करने के लिए एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल इंदौर भेजा गया था, जिसने अपनी रिपोर्ट एसजीपीसी को को सौंप दी है।
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शिरोमणि कमेटी के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी द्वारा भेजे गए इस प्रतिनिधिमंडल में धर्म प्रचार कमेटी के सदस्य भाई अजीम सिंह व्यवसायी, सुखवर्ष सिंह पन्नू, अतिरिक्त सचिव गुरिंदर सिंह मथरेवाल, छत्तीसगढ़ सिख मिशन के प्रभारी भाई गुरमीत सिंह और आईटी विभाग के प्रतिनिधि जसकरन सिंह शामिल थे।
प्रतिनिधिमंडल के सदस्य भाई अजाज सिंह अभ्यासी ने शुक्रवार को बताया कि इंदौर में कुछ लोगों द्वारा सिंधी सिख परिवारों के घरों और उनके द्वारा स्थापित धार्मिक स्थलों से श्री गुरु ग्रंथ साहिब के स्वरूपों को ले जाने का मामला सामने आया था, उन्होंने इंदौर में उनसे चर्चा की। उन्होंने कहा कि प्रतिनिधिमंडल ने महसूस किया कि सिंधी समुदाय सिख गुरुओं और श्री गुरु ग्रंथ साहिब का बहुत सम्मान करता है, इसलिए उन्हें एक साथ रखने के लिए विशेष प्रयास करने की आवश्यकता है।
अभ्यासी ने कहा कि इंदौर भ्रमण के दौरान यह भी देखा गया कि सिंधी समाज में दो विचारधाराएं हैं, एक वे जो पारंपरिक रीति-रिवाजों से श्री गुरु ग्रंथ साहिब का सम्मान करते हैं, तो दूसरे श्री गुरु ग्रंथ साहिब के प्रति पूरी श्रद्धा रखते हैं। उन्होंने कहा कि गुरु घर के शिष्टाचार का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध लोगों को साथ लाकर अन्य लोगों को भी शिष्टाचार के प्रति जागरुक करना चाहिए।
इस कार्य के लिए शिरोमणि कमेटी के प्रचारकों, सिंह सभाओं और सिक्ख मूल्यों में आस्था रखने वाले सिंधियों को श्री गुरु ग्रंथ साहिब के मूल्यों के प्रति जागरुक किया जाएगा। समिति सदस्य ने कहा कि गुरुद्वारा इमली साहिब में आए पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब जी के स्वरूपों में कई स्वरूप पुरातन हो चुके हैं, जिन्हें अमृतसर लाया जाएगा और श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की सेवा करने वालों को जरूरत के हिसाब से नये स्वरूप दिए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि सिंधी समाज के नेताओं से बड़े सौहार्द के माहौल में बातचीत हुई। इस मौके पर अखिल भारतीय सिंधु संत समाज ट्रस्ट के महामंडलेश्वर स्वामी हंस राम समेत करीब 20 सिंधी नेता मौजूद रहे। इस अवसर पर फैसला लिया गया कि समुदायों की एकता के लिए दोनों समुदायों के नेता श्री अकाल तख्त साहिब में मामले को सुलझाने के विचार को आगे बढ़ाएंगे।
इसलिए सात फरवरी 2023 को उन्हें श्री अकाल तख्त साहिब में आमंत्रित किया गया, लेकिन उनके द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया। बल्कि सात फरवरी को उन्होंने मध्य प्रदेश के उज्जैन में सनातन मत के संतों के साथ बैठक की और एक वीडियो के माध्यम से सिंधी समुदाय के लोगों को श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की छवि को गुरुद्वारा साहिब में छोड़ने के लिए कहा।
उन्होंने कहा कि वह एक तरफ हमारे साथ मिलकर समस्या के समाधान की बात करते हैं, वहीं दूसरी ओर अखिल भारतीय सिंधु संत समाज ट्रस्ट के महामंडलेश्वर स्वामी हंस राम लोगों को आपसी भाईचारे में खाई पैदा करने के लिए भड़का रहे हैं। उन्होंने सरकार से सिख और सिंधी समाज में फूट डालने वाली ऐसी कार्रवाइयों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करने की अपील की।
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