विश्व शांति और प्रगति का मार्ग एशिया से होकर गुजरता है: इन्द्रेश कुमार

विश्व शांति और प्रगति का मार्ग एशिया से होकर गुजरता है: इन्द्रेश कुमार

नई दिल्ली। आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में हिमालय हिन्द राष्ट्र समूह, राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच और स्कूल ऑफ़ लैंगवेज लिटरेचर एंड कल्चर स्ट्डीज, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में भारत और मध्य एशिया ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक सम्पर्क विषय पर सोमवार से विश्वविद्यालय के कन्वेंशन सेंटर में द्विदिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया।

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इसमें भारत तथा मध्य एशियाई देशों के मध्य संबंधों को और प्रगाढ़ करने पर जोर दिया गया तथा आपसी बातचीत बढ़ाने संबंधी विचार व्यक्त किये गये। सेमिनार के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि सभी लोगों को आपस में मिल जुलकर वार्तालाप करना चाहिए, ताकि क्षेत्र में शांति स्थापित हो सके।

कार्यक्रम में मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कार्यकारिणी सदस्य इंन्द्रेश कुमार ने कहा कि विश्व शांति एवं प्रगति का मार्ग एशिया से होकर गुजरता है। भारत के बिना विश्व में शांति एवं सद्भाव स्थापित नहीं किया जा सकता है। भारत ने कोरोना दौर में कई देशों को दवाइयां पहुंचा कर यह सिद्ध किया है कि हमारी वसुधैव कुटुंबकम् की संकल्पना सभी को परिवार मानकर चलने की है।

उन्होंने कहा कि भारत विविधता से भरा हुआ देश है और विविधताओं को भिन्नता बताएंगे, तो विवादों को जन्म मिलेगा। उन्होंने कश्मीर को भारत का स्वर्ग तथा भारत को विश्व की जन्नत बताया। उन्होंने भारत की प्राचीन पूजा पद्धतियों के विषय में खुलकर बात की तथा उनको मध्य एशियाई पद्धतियों से जोड़ा। साथ ही सभी धर्मों के मध्य सद्भावना पर जोर दिया।

उन्होंने सभी धर्मों के मानने वालों को आपस में एक दूसरे के धर्म का आदर करने तथा सद्भाव से रहने का आह्वान किया। उन्होंने अपने भाषण का अंत ‘जय भारत, जय एशिया, जय जगत’ के उद्घोष के साथ किया।

राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच के संगठन महामंत्री गोलोक बिहारी ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच का ध्येय है कि 54 देश हिमालय हिंद महासागर का ही विस्तार हैं जो एशिया में स्थित हैं। इस क्षेत्र में संपूर्ण विश्व की 41 प्रतिशत आबादी रहती है तथा यह क्षेत्र संयुक्त रूप से सभी चुनौतियों का सामना कर सकता है। उन्होंने कहा कि 'हिमालय हिंद महासागर राष्ट्र समूह' कि स्थापना भारत की 'वसुधैव कुटुंबकम्' की भावना का ही मूर्तरुप है।

उन्होंने विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से भारत तथा मध्य एशियाई देशों के मध्य संबंधों का विवरण प्रस्तुत किया। यह कार्यक्रम मंगलवार तक लगभग सात सत्रों में संचालित होगा जिसमें भारत और मध्य एशिया के बीच संबंध स्थापित करने के लिए आपस में चर्चा, संवाद द्वारा एकजुटता पर बल दिया गया।

सोमवार को उद्घाटन के दौरान तजाकिस्तान , ईरान, तुर्कमेनिस्तान आर्मेनिया, उज़्बेकिस्तान,किर्गिसतान ,कज़ाकिस्तान और अफगानिस्तान के प्रतिनिधि मौजूद रहे। मंगलवार को समापन सत्र में इन सभी देशों के राजदूत इसमें शामिल होंगे।

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