मलेरिया संक्रमण और प्रसार को घटाने में बड़े कारगर हैं नए mRNA टीके
वाशिंगटन। वैज्ञानिकों ने दो एम आरएनए टीके विकसित किये हैं जो मलेरिया संक्रमण को कम करने तथा पशुओ में उसके फैलने को रोकने के अध्ययनों में बहुत कारगर हैं। अमेरिका के जॉर्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय की टीम ने यह भी पाया कि दोनों टीकों ने सशक्त प्रतिरोधी क्षमता विकसित की, भले ही उन्हें अकेले -अकेले दिया गया या मिलाकर दिया गया। एम आरएनए टीके मेसेंजर आरएनए (एम आरएनए) की एक ऐसी प्रति बनाकर काम करता है जो विषाणु प्रोटीन के समकक्ष होता है। आरएनए प्रोटीन निर्माण के लिए आवश्यक तत्व है।
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जॉर्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय के जनस्वास्थ्य मिल्केन विद्यालय संस्थान के प्रोफेसर निर्भय कुमार ने कहा, ‘मलेरिया का सफाया रातोंरात तो होगा नहीं, बल्कि ऐसे टीके दुनिया के कई हिस्सों से काफी हद तक मलेरिया को खत्म कर देंगे।’ कुमार ने एक बयान में कहा, ‘‘एम आरएनए टीका प्रौद्योगिकी वाकई पासा पलटने वाला हो सकता है। हमने देखा है कि कोविड का मुकाबला करने में यह प्रौद्योगिकी कितनी सफल रही है और इस अध्ययन के लिए हमने जरूरी तब्दीली की तथा मलेरिया का मुकाबला करने के वास्ते उपाय विकसित करने के लिए उसका इस्तेमाल किया।’’
पत्रिका एनपीजे वैक्सीसंस में बृहस्पतिवार को प्रकाशित यह अध्ययन परजीवी प्लाजमोडियम फाल्सिपारूम पर केंद्रित है । उन उन चार परजीवी प्रजातियों में एक है जिनसे मलेरिया बीमारी होती है और वे मानव के बहुत घातक हैं। अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि एनाफिलीज मच्छरों के काटने से यह बीमारी फैलती है जिसमें पी फाल्सिपारूम और पी विवाक्स दुनियाभर में 90 प्रतिशत मलेरिया मामलों के लिए तथा इस बीमारी से होने वाली 95 प्रतिशत मौतों के लिए जवाबदेह हैं। अनुसंधानकर्ताओं ने परजीवी के जीवनचक्र के विभिन्न हिस्सों को प्रभावित करने के लिए दो एम आरएनए टीके विकसित किये हैं।
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