नए कम्प्यूटेशनल उपकरण से मिर्गी के बेहतर इलाज में मिलेगी मदद
कोच्चि/केरल। केरल के एक अस्पताल ने नए कम्प्यूटेशनल उपकरण विकसित किए हैं जो मस्तिष्क के उस हिस्से (एपिलेप्टिक फोकस) की सटीक पहचान कर सकता है जिसके कारण मिर्गी के दौरे पड़ते हैं। इसकी सटीक पहचान ही मिर्गी की सर्जरी की प्रमुख चुनौती होती है।
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एक बयान के अनुसार, अमृता हॉस्पिटल में सेंटर फॉर एपिलेप्सी ने इस संबंध में 2015 से 2019 के बीच मिर्गी के करीब 100 जटिल मामलों पर कई अध्ययन किए। बयान में कहा गया है, ‘मिर्गी सबसे आम मस्तिष्क संबंधी विकारों में से एक है जिससे भारत में करीब 60 फीसदी लोग प्रभावित हैं। इन मरीजों में से 70 प्रतिशत के दौरे इलाज से नियंत्रित किए जा सकते हैं।’
उसने कहा कि हालांकि, 30 प्रतिशत मरीजों पर दवा का असर नहीं होता जो कि मिर्गी का गंभीर रूप है। सर्जरी से ‘एपिलेप्टिक फोकस’ को हटाया जा सकता है जहां से मरीजों में मिर्गी के दौरे शुरू हाते हैं। अमृता हॉस्पिटल में क्लिनिकल प्रोफेसर डॉ. सिबी गोपीनाथ ने कहा कि केंद्र ने नए कम्प्यूटेशनल उपकरण विकसित किए हैं जिससे मस्तिष्क के उस हिस्से की सटीक पहचान की जा सकती है जिसके कारण मिर्गी के दौरे पड़ते हैं। उन्होंने कहा कि मस्तिष्क में एपिलेप्टिक फोकस की सटीक पहचान करने से सर्जन को मस्तिष्क के असामान्य ऊत्तकों को हटाने तथा खतरे और मिर्गी की सर्जरी के नकारात्मक असर को कम करने में मदद मिलेगी।
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