लखनऊ: डिप्टी सीएम के यहां से आया फोन फिर भी नहीं मिला इलाज, बदइंतजामी से परेशान मरीज अस्पताल छोड़ भागा

लखनऊ: डिप्टी सीएम के यहां से आया फोन फिर भी नहीं मिला इलाज, बदइंतजामी से परेशान मरीज अस्पताल छोड़ भागा

अमृत विचार संवाददाता, लखनऊ। प्रदेश की राजधानी में स्वास्थ्य सेवायें बदहाल हैं। डेंगू व वायरल बुखार ने हालत और खराब कर दिये हैं। मरीजों की भारी संख्या को देखते हुये अस्पतालों में मौजूदा संसाधान नकाफी साबित हो रहे हैं।आम आदमी हो या फिर खास इलाज मिलना यहां किस्मत की बात नजर आ रही है। सबसे …

अमृत विचार संवाददाता, लखनऊ। प्रदेश की राजधानी में स्वास्थ्य सेवायें बदहाल हैं। डेंगू व वायरल बुखार ने हालत और खराब कर दिये हैं। मरीजों की भारी संख्या को देखते हुये अस्पतालों में मौजूदा संसाधान नकाफी साबित हो रहे हैं।आम आदमी हो या फिर खास इलाज मिलना यहां किस्मत की बात नजर आ रही है। सबसे बुरी स्थिति राजधानी स्थित डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी (सिविल) अस्पताल की बताई जा रही है।

ताजा मामला उपमुख्यमंत्री के यहां से जुड़ा हुआ है। बताया जा रहा है कि उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के यहां से मरीज को उचित इलाज देने के लिए फोन भी किया गया। उसके बाद भी मरीज को चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मियों के व्यवहार से तंग आकर अस्पताल से भागना पड़ा। अपनी यह पीड़ा मरीज ने सोशल मीडिया पर भी साझा की है।

श्याम कुमार नाम के बुजुर्ग व्यक्ति ने बताया कि उन्हें बीते कई दिनों से तेज बुखार होने पर इलाज के लिए उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के निजी सचिव से मदद मांगी। वहां से तत्काल मदद मिली और उन्हें एम्बुलेंस लेने आ गई । बुजुर्ग मरीज को एंबुलेंस के जरिये सिविल अस्पताल की इमरजेंसी पहुंचाया गया। वहां पर मौजूद जूनियर चिकित्सकों ने बुजुर्ग के इलाज में काफी मेहनत की, लेकिन इमरजेंसी के सीनियर डॉक्टर का व्यवहार ठीक नहीं रहा।

किसी तरह श्याम कुमार को भर्ती कर इलाज शुरू किया गया,बाद में उन्हें इलाज के लिए प्रथम तल पर भेज दिया गया। श्याम कुमार ने बताया कि वहां पर बोतल लगाकर छोड़ दिया गया। जिससे मेरी तबीयत और खराब हो गई। जब इसके बारे में डॉक्टरों को बताना चाहा,तो कोई सुनने वाला नहीं था। मरीज ने बताया कि जब समुचित इलाज नहीं मिला,तो वहां से मैं भाग आया। हालांकि मरीज की हालत अभी बहुत खराब बताई जा रही है। लौटते समय सड़क पर गिरने से बुजुर्ग मरीज को चोट लग गई। जिससे उनकी समस्या और बढ़ गई है।

श्याम कुमार का मामला तो बानगी मात्र है। बहराइच निवासी राजन इन्दिरा नगर में रहकर दिहाड़ी मजदूरी का काम करता है। राजन के चार साल के बच्चे को करीब सात दिन पहले तेज बुखार आया था। स्थानीय डॉक्टर से इलाज के बाद बच्चे की हालत बिगड़ गई। जिसके बाद परिजन बच्चे को लेकर सिविल अस्पताल की इमरजेंसी पहुंचे । वहां बताया गया कि बच्चे को ओपीडी में दिखायें। बच्चों की इमरजेंसी दिन के समय नहीं चलती। पर्चा काउंटर पर भारी भीड़ होने के चलते करीब दो घंटे बाद पर्चा बन सका।

आरोप है कि बच्चे को तेज बुखार और उल्टियाें की शिकायत थी,लेकिन दो दवा देकर भेज दिया। हालत में सुधार न होने पर परिजन बच्चे को लेकर दोबारा सिविल अस्पताल पहुंचते हैं,लेकिन इस बार डाक्टर फटकार लगाते हुये भगा देते हैं। आरोप है कि कई दिन बुखार से जूझ रहे बच्चे की जांच कराना किसी ने मुनासिब नहीं समझा। राजन ने बताया कि वह दिहाड़ी मजदूरी कर अपना घर चलाता है। सरकारी अस्पताल में इलाज कराने आते हैं तब काम पर भी नहीं जा पाते और यहां इलाज भी नहीं मिलता,सिर्फ दौड़ाया जाता है।

मरीज के अस्पताल से जाने की जानकारी मिली है। मरीज का इलाज बाधित न हो इसके लिए एक बार फिर एंबुलेंस मरीज के घर भेजी गई है। जल्द ही मरीज का इलाज शुरू कर दिया जायेगा …डॉ.आर.पी.सिंह, सीएमएस,सिविल अस्पताल।

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