हल्द्वानी: तराई के तीन वेटलैंड रामसर साइट्स में होंगे शामिल

हल्द्वानी, अमृत विचार। तराई के तीन वेटलैंड हरिपुरा बौर, तुमड़िया और बैगुल-धौरा डैम रामसर साइट्स में दर्ज होकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति हासिल कर सकते हैं। वन विभाग ने तीनों वेटलैंड को रामसर साइट्स में दर्ज कराने के लिए कवायद शुरू की है। अगर मानकों पर खरे उतरे तो उन्हें साइट्स में शामिल कर लिया …
हल्द्वानी, अमृत विचार। तराई के तीन वेटलैंड हरिपुरा बौर, तुमड़िया और बैगुल-धौरा डैम रामसर साइट्स में दर्ज होकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति हासिल कर सकते हैं। वन विभाग ने तीनों वेटलैंड को रामसर साइट्स में दर्ज कराने के लिए कवायद शुरू की है। अगर मानकों पर खरे उतरे तो उन्हें साइट्स में शामिल कर लिया जाएगा।
वन विभाग ने तराई पश्चिमी वन डिवीजन के अंतर्गत तुमड़िया डैम, तराई केंद्रीय वन डिवीजन में हरिपुरा-बौर जलाशय और तराई पूर्वी वन डिवीजन में धौरा डैम को रामसर साइट्स में शामिल करने की तैयारी की है। धौरा डैम के शामिल कराने के लिए भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) से सर्वेकरा लिया है। जबकि तुमड़िया और हरिपुरा बौर के लिए प्रस्ताव बनाया गया है।
वन अधिकारियों का दावा है कि तीनों वेटलैंड की समृद्ध जलीय जैव विविधता के लिए पहचान है। इनमें पानी रहने वाली दर्जनों जलीय जीव पाए जाते हैं। वहीं हर साल सर्दियों में सैकड़ों प्रवासी पक्षी प्रवास के लिए पहुंचते हैं जो इन वेटलैंड की शान को बढ़ा देते हैं। वहीं, प्राकृतिक सौंदर्य के लिहाज से भी ये तीनों स्थल किसी से कमतर नहीं है।
ये वेटलैंड सिर्फ स्थानीय ही नहीं बल्कि विदेशी पक्षी प्रेमियों के भी आकर्षण का केंद्र बढ़ते हैं। सर्दियां शुरू होने के साथ ही वन विभाग सभी वेटलैंड्स में निगरानी करता है ताकि पक्षियों की सुरक्षा और अवैध शिकार पर भी रोकथाम हो सके। पिछली वर्ष तो तराई पूर्वी वन डिवीजन के जलाशयों में सर्वे हुआ था इसमें 150 प्रजातियों से ज्यादा के 60 हजार पक्षी पहुंचे थे। इसी को देखते हुए वन विभाग ने तीनों वेटलैंड को रामसर साइट्स में दर्ज कराने के लिए प्रस्ताव तैयार किया है। अब इन तीनों के प्रस्ताव भेजे जाएंगे ताकि इनके संरक्षण व जलीय जैव विविधता के संवर्द्धन में मदद मिल सके।
यह है रामसर साइट
रामसर साइट्स का अंतर्राष्ट्रीय महत्व है। वेटलैंड्स के कन्वेंशन को रामसर कन्वेंशन कहा जाता है। रामसर सम्मेलन 1971 में यूनेस्को की ओर से स्थापित अंतर्राष्ट्रीय आद्रभूमि संधि है। 1975 में सम्मेलन के बाद यह संधि कार्रवाई में आई थी। किसी भी वेटलैंड के रामसर साइट्स में शामिल होने से उसको अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति मिलने के साथ ही संरक्षण में भी मदद मिलती है।
अभी तक उत्तराखंड से सिर्फ एक को है रामसर साइट्स का दर्जा
भारत में कुल 75 स्थल रामसर साइट्स में शामिल हैं। देश की पहली साइट उड़ीसा स्थित चिल्का झील है। इसमें उत्तराखंड से सिर्फ एक आसन कंजर्वेशन रिजर्व रामसर साइट्स में शामिल है। सबसे ज्यादा तमिलनाडु से 14, उत्तर प्रदेश से 11 स्थल इसमें शामिल हैं।
तुमड़िया, हरिपुरा-बौर और धौरा वेटलैंड्स को रामसर साइट्स में शामिल कराने के लिए प्रस्ताव बनाए गए हैं। रामसर साइट्स में शामिल होने पर इनको अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी और जलीय जैव विविधता के संरक्षण व संवर्द्धन में मदद मिलेगी।
= दीप चंद्र आर्य, वन संरक्षक पश्चिमी वन वृत्त