बरेली: चाचा अजीत सिंह से बेहद प्रभावित थे भगत सिंह, देश के लिए कुर्बान होने की प्रेरणा परिवार से मिली

बरेली, अमृत विचार। ब्रितानिया शासन को झकझोर कर रख देने वाले क्रांतिकारी भगत सिंह को देश के लिए कुर्बान हो जाने की प्रेरणा परिवार से मिली थी। भगत सिंह आजादी के आहुति यज्ञ में कूदने वाले अपने परिवार के अकेले व्यक्ति नहीं थे, बल्कि उनके परिवार का हर सदस्य भारत मां की गुलामी की जंजीरों को …

बरेली, अमृत विचार। ब्रितानिया शासन को झकझोर कर रख देने वाले क्रांतिकारी भगत सिंह को देश के लिए कुर्बान हो जाने की प्रेरणा परिवार से मिली थी। भगत सिंह आजादी के आहुति यज्ञ में कूदने वाले अपने परिवार के अकेले व्यक्ति नहीं थे, बल्कि उनके परिवार का हर सदस्य भारत मां की गुलामी की जंजीरों को तोड़ने के लिए तैयार था। उनके चाचा अजीत सिंह ने कानून को जानने के लिए विधि की पढ़ाई बरेली कालेज से की। लेखक सुधीर विद्यार्थी की पुस्तक बरेली द कोलाज में इसका जिक्र है। किताब के अनुसार उनके चाचा क्रांतिकारी अजीत सिंह व उनके पिता किशन सिंह एक वर्ष तक बरेली में रहे थे।

इतिहासकारों के अनुसार भगत सिंह के चाचा अजीत सिंह की ओर से किसानों से लगान वसूलने के खिलाफ पगड़ी संभाल जट्टा आंदोलन चलाया गया।13 अप्रैल 1919 को जब जलियांवाला बाग में नरसंहार हुआ तो भगत सिंह इसे देखकर काफी व्यथित हो गए थे। इसी घटना को देखकर भगत सिंह ने कॉलेज की पढ़ाई को बीच में ही छोड़ दिया और आजादी की लड़ाई में कूद पड़े।

एलएलबी में लिया था प्रवेश

बरेली कालेज के विधि विभागाध्यक्ष प्रदीप कुमार बताते हैं कि शहीद भगत सिंह के चाचा अजीत सिंह बरेली कालेज में 1905-06 एलएलबी प्रथम वर्ष के छात्र रहे थे। हालांकि 1857 के विद्रोह में बरेली के क्रांतिकारियों की प्रमुख भूमिका रही। अंग्रेजी हुकूमत ने कुछ दिनों तक विधि की कक्षाएं पर रोक लगा दी थी, जिसके बाद 1928 में एक बार फिर विधि की कक्षाओं को संचालित किया गया था।

बरेली कालेज समेत कुछ ही जगह संचालित होती थीं विधि की कक्षाएं

चीफ प्राक्टर डा. आलोक खरे ने बताया कि बरेली कालेज में विधि की पहली कक्षाएं 1889 में शुरू की गई थीं। ये महाविद्यालय से जुड़े प्रत्येक शिक्षक, छात्र के लिए बेहद प्रेरणादायक है कि शहीद भगत सिंह से जुड़े परिवार के सदस्य ने यहां शिक्षा ग्रहण की। उस समय विधि की कक्षाएं कुछ सीमित जगह की संचालित की जाती थीं। जिनमें बरेली कॉलेज प्रमुख केंद्र माना जाता था।

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