उच्च न्यायालय ने पंजाब में सुरक्षा प्राप्त लोगों पर खतरे की नए सिरे से समीक्षा करने का आदेश दिया

उच्च न्यायालय ने पंजाब में सुरक्षा प्राप्त लोगों पर खतरे की नए सिरे से समीक्षा करने का आदेश दिया

चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने पंजाब में सुरक्षा प्राप्त कई लोगों की सुरक्षा हटाए जाने या उन्हें दिए गए सुरक्षा कवर की श्रेणी में बदलाव किए जाने के खिलाफ दायर याचिकाओं की सुनवाई के दौरान इन लोगों के जीवन पर खतरे का नए सिरे से आकलन करने का आदेश दिया है। पंजाब के पूर्व …

चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने पंजाब में सुरक्षा प्राप्त कई लोगों की सुरक्षा हटाए जाने या उन्हें दिए गए सुरक्षा कवर की श्रेणी में बदलाव किए जाने के खिलाफ दायर याचिकाओं की सुनवाई के दौरान इन लोगों के जीवन पर खतरे का नए सिरे से आकलन करने का आदेश दिया है। पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री ओ पी सोनी की याचिका समेत 45 याचिकाओं के समूह की सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि वह इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं कर सकती कि सुरक्षा का फिर से वर्गीकरण करना कभी-कभी विरोधी असामाजिक तत्वों को ऐसे कड़े कदम उठाने के लिए प्रोत्साहित करता है कि वे सुरक्षा कवर को मात देकर व्यक्ति पर हमला कर सकें।

अदालत ने कहा, ‘‘सुरक्षा वापस लिए जाने के मुद्दे को सार्वजनिक करने के मद्देनजर सुरक्षा प्राप्त लोगों की निरंतर जारी आशंका को दूर करने के लिए, इस अदालत की राय है कि सक्षम प्राधिकारियों को राज्य और केंद्र सहित विभिन्न एजेंसी से मिली जानकारियों पर विचार करने के बाद सुरक्षा प्राप्त लोगों के जीवन पर खतरे के संबंध में नए सिरे से आकलन करना चाहिए।’’ न्यायमूर्ति राज मोहन सिंह की पीठ ने मंगलवार को कहा कि सक्षम प्राधिकारी को व्यक्तियों/सुरक्षा प्राप्त लोगों को उचित नोटिस देकर उनके द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारियों पर भी गौर करना चाहिए।

जिन लोगों की सुरक्षा हटाई गई है, उनके विवरण के कथित रूप से लीक होने के मामले पर अदालत ने कहा कि एक नामित समिति द्वारा दो फरवरी, 2022 को सुरक्षा प्राप्त 557 लोगों के संबंध में की गई सुरक्षा समीक्षा की जानकारी लीक नहीं हुई थी। एक अन्य समीक्षा 29 मार्च को की गई थी और इस इसकी जानकारी सार्वजनिक हो गई थी। अदालत ने कहा कि 29 मार्च, 2022 को समिति द्वारा की गई सुरक्षा समीक्षा सार्वजनिक हो गई और इस तरह बाद में की गई सुरक्षा समीक्षा की जानकारी भी सार्वजनिक हो गई।

अदालत ने यह स्पष्ट किया कि सुरक्षा प्राप्त लोगों को दिया गया मौजूदा सुरक्षा कवर नए सिरे से समीक्षा होने तक लागू रहेगा। पीठ ने साथ ही टिप्पणी की कि बहुत महत्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में अपना दर्जा या प्राधिकार दिखाने के लिए सुरक्षा की मांग नहीं की जा सकती। उसने कहा कि करदाताओं के पैसे का इस्तेमाल कर राज्य के खर्च पर कोई विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग नहीं बनाया जा सकता।

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