फीस का सवाल
लाकडाउन के दौरान निजी स्कूलों में फीस को लेकर इस वक्त अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है। स्कूलों की तरफ से अभिभावकों को संदेश पहुंच रहे हैं, मगर लाकडाउन में फीस जमा करने या नहीं जमा करने को लेकर अभिभावकों में संशय की स्थिति है। इस पूरे मामले में भ्रम की स्थित का यह आलम …
लाकडाउन के दौरान निजी स्कूलों में फीस को लेकर इस वक्त अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है। स्कूलों की तरफ से अभिभावकों को संदेश पहुंच रहे हैं, मगर लाकडाउन में फीस जमा करने या नहीं जमा करने को लेकर अभिभावकों में संशय की स्थिति है। इस पूरे मामले में भ्रम की स्थित का यह आलम है कि अभिभावक एक-दूसरे से इस बारे में जानकारी ले रहे हैं।
जैसा बताया जा रहा है कि स्कूलों में लाकडाउन के दौरान ली जाने वाली फीस माफ नहीं की गई है बल्कि उस अवधि की फीस को आगे ली जाने वाली फीस के साथ ही समायोजित किया जाना है। यानी लाकडाउन अवधि की फीस ली जाएगी, मगर स्कूल खुलने के बाद। हां अगर अभिभावक अभी फीस जमा करना चाहते हैं तो वह अलग बात है। अब सवाल उठता है कि लाकडाउन में जब सब कुछ बंद है तो आखिर अभिभावकों को स्कूल फीस जमा करने संबंधी संदेश भेजने की स्कूलों द्वारा कितनी जरूरत थी।
अभिभावकों को जो संदेश भेजे जा रहे हैं उसमें लिखा गया है कि स्कूल के स्टाफ की तनख्वाह आदि के लिए बजट के चलते फीस जरूरी है, लिहाजा इस अवधि में फीस जमा कर अभिभावक उन्हें मदद कर सकते हैं। लिखा गया है कि आप सक्षम हैं तो फीस जमा कर सकते हैं। फीस जमा करने को लेकर स्कूल संचालकों के अपने तर्क हैं। क्या यह बात समझ में आती है कि बड़े-बड़े स्कूल संचालक अपने स्टाफ को तनख्वाह देने के लfए केवल विद्यार्थियों के दो माह की फीस पर निर्भर हैं? मामला चाहे जो भी हो, मगर स्कूलों की यह जल्दी अभिभावकों की समझ नहीं आ रही है।
उधर तमाम राज्यों में सरकारों ने इस वर्ष स्कूलों की वार्षिक फीस वृद्धि रोकने के लिए निर्देश भी जारी कर दिए हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने सोमवार को ही इस आशय का निर्देश जारी किया है जो कि वर्तमान स्थिति के लिहाज से ठीक ही है। निजी स्कूलों में कई अभिभावक ऐसे भी हैं जो किसी तरह बच्चों की फीस का प्रबंध कर उन्हें वहां भेजते हैं। सरकारी स्कूलों में पढ़ाई के चिंतनीय स्तर के चलते वह निजी स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने को मजबूर हैं। लिहाजा यह फीस वृद्धि उन्हें ही सबसे ज्यादा भारी पड़ती है।
सरकारों ने अगर यह निर्णय लिया है तो निश्चित तौर पर ऐसे अभिभावकों को इस निर्णय का लाभ मिलेगा। इतना जरूर है कि निजी स्कूलों की अगर कोई वास्तविक समस्या है तो सरकारें उसका संज्ञान लें, मगर अभिभावक हितों को ध्यान में रखते हुए।