रायबरेली: पूरे जिले में निकला यौम-ए-आशूरा का जुलूस, जगह- जगह हुआ मातम

रायबरेली। मंगलवार को 10वीं मुहर्रम पर यौम-ए-आशूरा का जुलूस शहर से लेकर कस्बों तक में निकला है। हर तरफ मातम, आंखो में आंसू लिए अकीदत मंद यजीद के जुल्म के खिलाफ आवाज बुलंद करते रहे। इस बीच मुस्लिम धर्म गुरुओ ने यजीद की तुलना आज के आतंकवादियो से की तो जुलूस मे जमकर आतंकवाद मुर्दाबाद …
रायबरेली। मंगलवार को 10वीं मुहर्रम पर यौम-ए-आशूरा का जुलूस शहर से लेकर कस्बों तक में निकला है। हर तरफ मातम, आंखो में आंसू लिए अकीदत मंद यजीद के जुल्म के खिलाफ आवाज बुलंद करते रहे। इस बीच मुस्लिम धर्म गुरुओ ने यजीद की तुलना आज के आतंकवादियो से की तो जुलूस मे जमकर आतंकवाद मुर्दाबाद के नारे भी बुलंद हुए।
मंगलवार को ऊंचाहार में जुलूस की शुरुआत बड़े इमामबाड़े असगर मुस्तफाबादी के मर्सिया से हुई। उन्होने पढ़ा कि आज शबबीर पे क्या आलमे तनहाई है ,जुल्म की चंद पे जहरा के घटा छाई है‘’ के साथ सीनाजनी, छूरी और जंजीर का मातम शुरू हुआ। जुलूस आगे बढ़ा, जिसमे हजारो की संख्या मे महिलाएं, पुरुष, बड़े और बुजुर्ग शामिल थे। इस जुलूस मे शामिल होने के ग्रामीण क्षेत्रो से बड़ी संख्या संख्या मे हिन्दू समुदाय के लोग भी आए थे।
जुलूस के रास्ते मे जगह जगह लंगर का भी लोगो ने आयोजन किया था। रास्ते मे नोहा ख्वानी भी होती रही, तो तकरीर भी होती थी। इमाम चौक पर हसनैन मुस्तफाबादी ने कहा कि विश्व मे आतंकवाद के खिलाफ सबसे पहली आवाज इमाम हुसैन ने बुलंद की। और इसके लिए उन्होंने अपने पूरे कुनबे की कुर्बानी दे दी | इश्तियाक हुसैन नक़वी ने कहा कि भारत हुसैन की चाहत का देश है , इसीलिए वह भारत आना चाहते थे, क्योकि इंसानियत विश्व मे काही है तो वह मेरा भारत देश है।
यहां पर छोटे बच्चे अता हुसैन का मातम सभी की आंखो को नम कर रहा था। जुलूस मे अशरफ हुसैन असद, शाह आलम, माजू, मसरुर हैदर, कैसर अब्बास, हादी हुसैन, आदि बहुत बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे। दिन भर चले जुलूस का समापन शाम को कर्बला मे हुआ।इसी के साथ अलबिदाई भी सम्पन्न हो गयी।
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