पिंडारी ग्लेशियर, गर्मियों की छुट्टी में एक रोमांचक ट्रैक पर अभी भी उपेक्षा का शिकार

बागेश्वर, अमृत विचार। ट्रैकिंग के शौकीनों के लिए उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में मौजूद पिंडारी ग्लेशियर एक बहुत ही सुंदर और रोमांचक जगह हो सकती है। गर्मियों की छुट्टी में गांव में रात्रि विश्राम का अनुभव और एक रोमांच से भरपूर ट्रैक है पिंडारी ग्लेशियर की यात्रा, चलिए आपको बताते हैं इस जगह के बारे …
बागेश्वर, अमृत विचार। ट्रैकिंग के शौकीनों के लिए उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में मौजूद पिंडारी ग्लेशियर एक बहुत ही सुंदर और रोमांचक जगह हो सकती है। गर्मियों की छुट्टी में गांव में रात्रि विश्राम का अनुभव और एक रोमांच से भरपूर ट्रैक है पिंडारी ग्लेशियर की यात्रा, चलिए आपको बताते हैं इस जगह के बारे में…
पिण्डारी ग्लेशियर बागेश्वर जिले में नंदा देवी और नंदाकोट की चोटियों के बीच स्थित है। 5 किमी लंबी यह ग्लेशियर 3627 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। पिण्डारी नदी का उद्गम इसी ग्लेशियर से होता है। यह नदी कर्णप्रयाग में अलकनंदा नदी से मिल जाती है। पिण्डारी ग्लेशियर के लिए पैदल यात्रा के दौरान सौंग और लोहार के गांवों से होकर पहले धकुरी पास तक पहुंचा जाता है। इसके बाद खाती गांव, दवाली, फुरकिया और फिर पिंडर आता है।
विकास खंड कपकोट के उत्तर भाग में स्थित विख्यात पिंडारी ग्लेशियर की यात्रा रोमांचभरी भी है। ग्लेशियर पर सुबह पड़ने वाली सूरज की पहली किरणें पड़ते ही स्वर्णिम आभा से उभर उठता है। प्रकृति ने इस क्षेत्र को अपने हिसाब से संवारा है, लेकिन आज तक किसी भी सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया।
खैर पिंडारी पहुंचने के लिए आप अपने वाहन या अन्य वाहन से जिला मुख्यालय से 38 किमी दूर सोंग फिर वहां से तीन किमी लोहारखेत पहुंच सकते हैं। इसके बाद शुरू होती है धाकुड़ी तक की 11 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई। यहां रात में रूकने के बाद दूसरे दिन आप को सात किमी तक का पैदल चलकर खाती गांव पहुंचना होगा, इसके बाद11 किमी और आगे चलते हुए आप पहुंचेंगे द्वाली, जहां से तीसरे दिन पांच किमी फुरकिया पहुंचकर रात्रि विश्राम करते हैं। और फिर आपको आखरी सात किमी के बाद दर्शन होते हैं अभिभूत कर देने वाले ग्लेशियर पिंडारी के।
मखमली घास, खुला आसमान, हिमालय दर्शन और इन सब के बीच प्रकृति में बिखरे फूलों की छटा के बीच पिंडर नदी और झरनों के नजारे आपको स्वर्ग में होने का एहसास कराएंगे। इस दौरान आपको अपनी यात्रा में कस्तूरी मृग, बारासिंघा, घुरल, कांकड़, तेंदुए, भालू, जंगली मुर्गियां समेत अनेक जानवर दिखाई देते हैं जिनसे आपको खतरा तो नहीं पर हां आपको कोई खलल भी नहीं पैदा करना होगा वरना मामला बिगड़ भी सकता है।
इस ग्लेशियर की यात्रा मई आखिरी सप्ताह से शुरू होकर जून के दूसरे सप्ताह तक होती है। इसके बाद बरसात का मौसम शुरू होने पर गधेरों को पार करना मुश्किल हो जाता है। सितंबर में थोड़े समय के लिए ग्लेशियर की यात्रा होती है लेकिन इसके बाद अधिक ठंड और बर्फबारी के चलते यात्रा पर ब्रेक लग जाता है।
यहां लोनिवि और केएमवीएन के अतिथि गृह मौजूद हैं जो कि आपको लोहारखेत, धाकुड़ी, खाती, द्वाली और फुरकिया में मिल जाएंगे और हो सके तो आप पहले से ही बुकिंग भी करवा सकते हैं क्योंकि गर्मियों में यहां आपको आसानी से रूम मिल जाए कहा नहीं जा सकता, पर्यटकों का काफी दबाव रहता है। यहां संचार सुविधा की बात करें तो बीएसएनएल थोड़ा बहुत काम कर लेता है जबकि जीओ अब पांव पसार रहा है लेकिन आपको इस समस्या से निबटने के लिए तैयार रहना होगा क्योंकि यात्रा के दौरान यदि दुर्भाग्यवश कोई घटना घट जाती है तो इसकी जानकारी जिला मुख्यालय तक दूसरे-तीसरे दिन तक ही पहुंच पाएगी।
ट्रैक पर जाने से पहले सारी तैयारी सही से कर लें, गर्म कपड़ों के साथ दवाईयां रखना न भूलें और हां टार्च,छाता,रेनकोट तो जरूर साथ रखें। तो ये थी कुछ विशेष जानकारी पिंडारी ग्लेशियर की रोमांचक यात्रा की अब आगे का सफर आपको तय करना है, मेडिकल फिट हैं तो आगे बढ़िए और निकल पढ़िए सौंदर्य को अपने कैमरे में कैद करने के लिए…