गोरखपुर: थ्रीडी एनिमेटेड वीडियो के जरिए मियां साहब इमामबाड़ा में दी गई हज ट्रेनिंग

गोरखपुर: थ्रीडी एनिमेटेड वीडियो के जरिए मियां साहब इमामबाड़ा में दी गई हज ट्रेनिंग

गोरखपुर। मियां साहब इमामबाड़ा परिसर मियां बाज़ार में रविवार को तहरीक दावते इस्लामी हिंद की ओर से हज ट्रेनिंग के दूसरे चरण का आयोजन हुआ। थ्रीडी एनिमेटेड वीडियो, एलईडी व लैपटॉप के ज़रिए हज का प्रैक्टिकल तरीका व मुकद्दस मकामात को दिखाकर हज यात्रियों को ट्रेनिंग दी गई। परिसर ‘लब्बैक अल्लाहुम्मा लब्बैक’से गूंज उठा। एहराम पहनना, …

गोरखपुर। मियां साहब इमामबाड़ा परिसर मियां बाज़ार में रविवार को तहरीक दावते इस्लामी हिंद की ओर से हज ट्रेनिंग के दूसरे चरण का आयोजन हुआ। थ्रीडी एनिमेटेड वीडियो, एलईडी व लैपटॉप के ज़रिए हज का प्रैक्टिकल तरीका व मुकद्दस मकामात को दिखाकर हज यात्रियों को ट्रेनिंग दी गई। परिसर ‘लब्बैक अल्लाहुम्मा लब्बैक’से गूंज उठा। एहराम पहनना, मक्का व मदीना शरीफ़ में इबादत, जियारत व ठहरने का तरीका, हज के फराइज, हज के पांच अहम दिन व हज का अमली तरीका बताया गया। हज यात्रियों ने हज के अरकान की बारीकियां सीखीं। हज यात्रियों को घर से रवाना होने से लेकर लौटकर आने तक के मसलों और आने वाली समस्याओं और उनके हल के बारे में जानकारी दी गई। महिलाओं के मसलों पर चर्चा हुई।

फाइनल हज ट्रेनिंग 2 को सुबह 10 से दोपहर 1 बजे तक परिसर में दी जाएगी। ट्रेनर हाजी मोहम्मद आज़म अत्तारी ने हज में पहने जाने वाले खास लिबास ‘एहराम’ को पहनने का तरीका बताया। कहा कि हज में सात चीजों की अदायगी पर खास ध्यान देने की जरुरत होती है।

जो हज के फ़र्ज़ कहलाते हैं। हज के सात फ़र्ज़ हैं पहला “एहराम” (हज का खास लिबास), दूसरा “नियत”, तीसरा “वुकूफ-ए- अरफात” (मैदान-ए-अरफात में ठहरना), चौथा “तवाफ-ए-जियारत” (काबा शरीफ का सात चक्कर), पांचवां “तरतीब”(सभी अरकान क्रमवार अदा करना), छठां “मुकर्रर वक्त”, सातवां “निश्चित जगह”।

इसमें से अगर कोई अदा करने से रह गया तो हज अदा न होगा। हज बेहद अहम इबादत है। इसमें सबसे अहम खुलूस है। हज-ए-मबरूर अल्लाह की रज़ा के लिए है। रसूल-ए-पाक हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि हज-ए-मबरूर करने वाला ऐसा होता है मानो आज ही मां के पेट से पैदा हुआ हो। उसके सभी गुनाह माफ़ हो जाते हैं। हज दीन-ए-इस्लाम का अहम फरीजा है।

इसे खुलूसो दिल से अदा करना चाहिए। ट्रेनिंग में उमराह का मुकम्मल तरीका, तवाफ, सफा-मरवा का चक्कर, हलक आदि के बारे में भी बताया गया। सवालो जवाब का भी सिलसिला चला। ट्रेनिंग का आगाज़ कुरआन-ए-पाक की तिलावत से मौलाना रजाउल मुस्तफा मदनी ने किया।

आदिल अत्तारी ‌ने नात-ए-पाक पेश की। अंत में दरूदो सलाम पढ़कर अमनो सलामती की दुआ मांगी गई। मुख्तार अहमद कुरैशी, जुबैदा खातून, वसीउल्लाह अत्तारी, शहजाद अत्तारी, मो. फरहान अत्तारी, कारी रियाजुद्दीन, नेहाल अहमद, शम्स तबरेज अत्तारी, मो. मोहसिन अत्तारी‌ आदि ने शिरकत की।

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