पीलीभीत: जब टूटा मौसा का पैर तब रखा अखबारी दुनिया में कदम

पीलीभीत: जब टूटा मौसा का पैर तब रखा अखबारी दुनिया में कदम

पीलीभीत,अमृत विचार। आज से ठीक 20 वर्ष पहले जब मौसा का पैर टूट गया तब ग्राहकों तक समाचार पत्र पहुंचाने के लिए दिनेश ने पहली बार अखबारी दुनिया में कदम रखा। बस तब से ही शुरूआत हुई समाचार पत्र बांटने की। आज समाचार पत्र वितरक दिनेश श्रीवास्तव के पास 250 लोगों से ज्यादा का परिवार …

पीलीभीत,अमृत विचार। आज से ठीक 20 वर्ष पहले जब मौसा का पैर टूट गया तब ग्राहकों तक समाचार पत्र पहुंचाने के लिए दिनेश ने पहली बार अखबारी दुनिया में कदम रखा। बस तब से ही शुरूआत हुई समाचार पत्र बांटने की। आज समाचार पत्र वितरक दिनेश श्रीवास्तव के पास 250 लोगों से ज्यादा का परिवार है। बताते हैं कि तब से लेकर आज तक बिना छुट्टी लिए लोगों के घरों तक समाचार पत्र पहुंचा रहे हैं।

शहर के मोहल्ला टखान निवासी दिनेश श्रीवास्तव पुत्र स्व. हीरा लाल ने सन् 2002 में लोगों के घरों तक समाचार पत्र पहुंचाने का काम शुरू किया था। दिनेश के एक लड़का है, जिसका नाम स्पर्श (16) है, जोकि अभी इंटर की पढ़ाई कर रहा है। बताते हैं उनकी पत्नी उमा श्रीवास्तव का भी बहुत योगदान रहता है।

सुबह जब साढ़े तीन बजे उठकर समाचार पत्र बांटने के लिए निकलते हैं तब उससे पहले उनकी पत्नी उमा उठकर चाय बनाती हैं तब जाकर साइकिल सड़कों पर फर्राटे भरती है। लोग जब गहरी नींद में सो रहे होते हैं तब दिनेश मोहल्ला पूरनमल, अशोक कॉलोनी, एकता नगर, सुरभी कालोनी, कृष्ण लोक आदि जगह तड़के समाचार पत्र पहुंचाते हैं। बताते हैं कि उनके पिता का बचपन में ही देहांत हो गया था। जिसके बाद से वह टूट गए थे। वे परिश्रम से इस मुकाम तक पहुंचे हैं। वह अपने काम पर गर्वित महसूस करते हैं।

समाचार पत्र वितरकों के लिए होनी चाहिए कोई योजना
समाचार पत्र वितरक दिनेश श्रीवास्तव का कहना है कि सभी समाचार वितरकों के लिए सरकार की तरफ से कोई योजना चलाई जानी चाहिए। जिससे समाचार पत्र वितरकों को इसका लाभ मिल सके। कोरोना काल में जब लोग घरों में दुबके रहते थे तब समाचार पत्र वितरक भाइय़ों ने लोगों तक समाचार पत्र पहुंचाया है।

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