राह का रोड़ा

कोरोना महामारी से पैदा हुए हालात के बाद धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही अर्थव्यवस्था की राह में महंगाई एक बड़ा रोड़ा बन सकती है। लगातार बढ़ रही महंगाई आम आदमी के लिए चिंता का कारण बनी हुई है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में पेट्रोलियम पदार्थों के दाम में अस्थिरता तथा वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में अवरोध भारत समेत …
कोरोना महामारी से पैदा हुए हालात के बाद धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही अर्थव्यवस्था की राह में महंगाई एक बड़ा रोड़ा बन सकती है। लगातार बढ़ रही महंगाई आम आदमी के लिए चिंता का कारण बनी हुई है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में पेट्रोलियम पदार्थों के दाम में अस्थिरता तथा वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में अवरोध भारत समेत दुनिया के तमाम देशों में महंगाई में ऐतिहासिक बढ़ोतरी का मुख्य कारण है।
उधर विश्वबैंक ने बता दिया है कि अभी भारत में जीडीपी और घटेगी। ये भारत के लिए काफी निराशाजनक है। विश्व बैंक ने वित्त वर्ष 2023 के लिए भारत के जीडीपी वृद्धि के अनुमान को घटा दिया है। जनवरी में उसने अनुमान जताया था कि वित्त वर्ष 2023 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 8.7 प्रतिशत रहेगी लेकिन अब इसे घटाकर आठ प्रतिशत कर दिया गया है।
विश्व बैंक का कहना है कि खपत मांग में सुस्ती और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण बढ़ती अनिश्चितताओं के कारण भारत के जीडीपी वृद्धि अनुमान में कटौती की गई है। वर्तमान सरकार ने सत्ता में आने के बाद नोटबंदी और जीएसटी जैसे फैसले लिए। इनसे अर्थव्यवस्था और रोजगार को झटका लगा। इसके बाद लाकडाउन की वजह से करोड़ों रोजगार खत्म हुए।
इन हालात का घरेलू खपत पर असर पड़ा। हालांकि, बाद में औद्योगिक और कारोबारी गतिविधियों में तेजी आने से रोजगार की स्थिति में कुछ सुधार हुआ है, पर वह अब भी संतोषजनक नहीं है। साथ ही, लोगों की आमदनी में बेहतरी नहीं आई है। ऐसे में महंगाई के दबाव से लोग अपनी जरूरतों में कटौती करने लगे हैं। इस वजह से बाजार में समुचित मांग नहीं है।
अगर हालात नहीं सुधरेंगे, तो घटती मांग उत्पादन और वितरण पर नकारात्मक असर डाल सकती है। बीते तीन माह से खुदरा मुद्रास्फीति की दर छह प्रतिशत से अधिक रही। ऐसा बहुत सारी वस्तुओं और सेवाओं के महंगे होते जाने से हुआ है। इससे अर्थव्यवस्था की बढ़ोतरी प्रभावित हो सकती है। फिलहाल अंतर्राष्ट्रीय राजनीति और आर्थिकी में सुधार की उम्मीद कम ही है। इसलिए सरकार और रिजर्व बैंक की ओर से कुछ ठोस पहल की जानी चाहिए।
माना जा रहा है कि भारत का केंद्रीय बैंक मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए रेपो रेट बढ़ाने का निर्णय ले सकता है। खाद्य वस्तुओं तथा ऊर्जा स्रोतों के दाम में राहत देने पर सबसे अधिक जोर दिया जाना चाहिए, ताकि आम जन को महंगाई से कुछ राहत मिल सके।