मुरादाबाद : तेजी से बढ़े साइबर बुलिंग के मामले, युवतियों को शिकार बना रहे हैं मनचले

मुरादाबाद : तेजी से बढ़े साइबर बुलिंग के मामले, युवतियों को शिकार बना रहे हैं मनचले

मुरादाबाद,अमृत विचार। किसी मेट्री सिटी के बाहर भले ही साइबर बुलिंग एक नया शब्द हो सकता है, लेकिन मुरादाबाद में यह अपराध धीरे धीरे पैर पसारने लगा है। वर्ष 2021 में ही जिले में साइबर बुलिंग के आठ मामले दर्ज हुए थे। वहीं बीते ढाई माह में भी दो मामले सामने आ चुके हैं। यह …

मुरादाबाद,अमृत विचार। किसी मेट्री सिटी के बाहर भले ही साइबर बुलिंग एक नया शब्द हो सकता है, लेकिन मुरादाबाद में यह अपराध धीरे धीरे पैर पसारने लगा है। वर्ष 2021 में ही जिले में साइबर बुलिंग के आठ मामले दर्ज हुए थे। वहीं बीते ढाई माह में भी दो मामले सामने आ चुके हैं। यह स्थिति ना केवल चिंताजनक है, बल्कि डराने वाली भी है। थोड़ी सी सावधान और जागरूकता के दम पर हम इस अपराध के दलदल में फंसने से बच सकते हैं।

वैसे तो जिले में बड़ी संख्या में लोग पहले से सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर हैं, लेकिन लॉकडाउन के दौरान जब मोबाइल और इंटरनेट स्कूली बच्चों के हाथ में आया तो वह भी फेसबुक, इंस्टाग्राम व ट्वीटर आदि पर आ गए। बहुत कम समय में अपनी लंबी चौड़ी फॉलोविंग लिस्ट भी तैयार कर ली, लेकिन यही मोबाइल और इंटरनेट उनके लिए घातक साबित हो रहा है। उत्तर प्रदेश में बीते एक साल में सैकड़ों छात्र-छात्राएं साइबर बुलिंग के शिकार हो चुके हैं। मुरादाबाद की बात करें तो वर्ष 2021 में यहां साइबर बुलिंग के कुल आठ मामले दर्ज हुए। वहीं इस साल के बीते ढाई महीने में ही दो नए मामले सामने आ गए हैं। यह सभी वारदात युवतियों के साथ हुए हैं।

अभी पिछले दिनों ही स्वंय सेवी संस्था चाइल्ड राइट्स द्वारा कराए गए सर्वे में पता चला कि 10 फीसदी स्कूली बच्चे किसी ना किसी तरह से साइबर बुलिंग के शिकार हुए हैं। इनमें युवतियों की तादात ज्यादा है। इसी प्रकार एनसीईआरटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में करीब 20 फीसदी छात्र-छात्राओं ने साइबर बुलिंग के डर से ऑनलाइन पढ़ाई ही छोड़ दी है। इसी रिपोर्ट के आधार पर एनसीईआरटी ने सभी स्कूल प्रबंधकों को अपने यहां काउंसलिंग सेशन शुरू करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद कई स्कूलों में लॉक डाउन के दौरान ऑनलाइन सेशन आयोजित किए गए थे।

ऑनलाइन रैगिंग है साइबर बुलिंग : साइबर विशेषज्ञों के मुताबिक साइबर बुलिंग एक तरह से ऑनलाइन रैगिंग है। यह इंटरनेट के माध्यम से होने वाला शोषण है। इसमें किसी को धमकी देना, उसके खिलाफ अफवाह फैलाना, भद्दे कमेंट व घृणास्पद बयानबाजी करना, अश्लील भाषा, फोटो का गलत इस्तेमाल और ऑनलाइन गेम के जाल में फंसाकर रुपये ऐंठना आदि अपराध शामिल हैं।

बच्चों से करें खुलकर बात
यदि बच्चों में अचानक से अवसाद, सामाजिक आयोजन से डर, कंप्यूटर या मोबाइल से डर, अनियमित नींद व भूख जैसे लक्षण नजर आए तो अभिभावकों को अलर्ट हो जाना चाहिए। साइबर मनोचिकित्सक राजीव विश्वकर्मा के मुताबिक ऐसे हालात में बच्चे आत्मघाती कदम उठाने की सोचने लगते हैं। लेकिन उन्हें खुल कर बोलने का माहौल देकर उनकी मनोदशा को समझा जा सकता है। बच्चे भी यदि इस तरह की घटना के शिकार हो जाए तो उन्हें भी समस्या को छुपाने के बजाय अपने माता-पिता, भाई -बहन, शिक्षक या करीबी दोस्तों से जरूर साझा करना चाहिए।

ऐसे बचें साइबर बुलिंग से

  • छात्र सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का न्यूनतम इस्तेमाल करें
  • सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर निजी जानकारी साझा ना करें
  • निजी और पारिवारिक तस्वीरें ना डाले
  • अनजान लोगों को अपनी मित्रता सूची में ना जोड़ें
  • किसी को भी व्यक्तिगत जानकारी, जन्म तिथि, एटीएम पिन, आधार नंबर, डेबिट कार्ड नंबर आदि भूलकर भी ना दें
  • ऑनलाइन गेम और ऑनलाइन क्विज से बचें
  • यदि ग्रुप में कोई तंग कर रहा हो तो उस ग्रुप को छोड़ दें

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