लखनऊ: अंग्रेजों का पदक ‘कैसर-ए-हिंद’ लौटाने वाली वह महिला, जो बाद में कहलाईं ‘भारत कोकिला’, जानिये…

लखनऊ: अंग्रेजों का पदक ‘कैसर-ए-हिंद’ लौटाने वाली वह महिला, जो बाद में कहलाईं ‘भारत कोकिला’, जानिये…

लखनऊ। भारत कोकिला नाम से प्रसिद्ध सरोजिनी नायडू कि आज 2 मार्च को पुण्यतिथि है। सरोजिनी नायडू को नाइटेंगल ऑफ़ इंडिया भी कहा जाता है,यह नाम सरोजिनी नायडू को उनके लेखनी तथा प्रभावी आवाज को लेकर दिया गया है। सरोजिनी नायडू महिला अधिकारों की समर्थक, राजनीतिक कार्यकर्ता, स्वतंत्रता सेनानी तो थी ही, साथ ही महिलाओं …

लखनऊ। भारत कोकिला नाम से प्रसिद्ध सरोजिनी नायडू कि आज 2 मार्च को पुण्यतिथि है। सरोजिनी नायडू को नाइटेंगल ऑफ़ इंडिया भी कहा जाता है,यह नाम सरोजिनी नायडू को उनके लेखनी तथा प्रभावी आवाज को लेकर दिया गया है।

सरोजिनी नायडू महिला अधिकारों की समर्थक, राजनीतिक कार्यकर्ता, स्वतंत्रता सेनानी तो थी ही, साथ ही महिलाओं को जागरूक करने में इनका बड़ा हाथ था, बताया जा रहा है कि अंग्रेजो के खिलाफ चले एक आंदोलन में करीब 17000 महिलाएं जेल गई थी।

उन हजारों महिलाओं को आंदोलन के लिए जागरूक करने में सरोजिनी नायडू का बड़ा योगदान था। लेकिन उसके बावजूद स्कूलों में पढ़ाई जाने वाली इतिहास की किताबों में सरोजिनी नायडू के बारे में कम ही जानकारी उपलब्ध है। ऐसा जानबूझकर किया जा रहा है और यह सब सरकार के इशारे पर होता है यह कहना है रेड ब्रिगेड की सदस्य लक्ष्मी का।

लक्ष्मी के मुताबिक सरोजिनी नायडू ने भारत की स्वतंत्रता के लिए हो रहे आंदोलनों में अहम भूमिका निभाई। इतना ही नहीं महिलाओं के उत्थान के लिए अपना पूरा जीवन लगा दिया।

लक्ष्मी बताती हैं कि जब नमक आंदोलन हुआ, तब करीब एक लाख लोग जेल गए, कई लोगों ने अपनी जान गंवाई। उन्होंने बताया कि जो लोग जेल गए, उनमें करीब 17 हजार महिलाएं शामिल थी। लेकिन सरोजिनी नायडू के इस योगदान को बताने वाला कोई नहीं है, उन्होंने आरोप लगाया कि महिलाओं के संघर्षों की कहानी जानबूझकर नहीं बताई जाती, इतिहास नहीं बताया जाता, पाठ्यक्रम में भी चंद पन्ने ही इतिहास को लेकर दिए जाते हैं।

इन सब के पीछे केवल एक ही मकसद होता है कि जब हम अपना इतिहास ही नहीं पढ़ेंगे, तो जागरूक नहीं होंगे और जागरूक नहीं होंगे तो अपने अधिकारों के लिए संघर्ष नहीं करेंगे।

सरोजिनी नायडू का जन्म साल 1879 मे 13 फरवरी के दिन हैदराबाद में हुआ था। इनके जन्मदिन को  भारत में राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है।

सरोजिनी नायडू ने जब देश में प्लेग महामारी फैली थी,उस दौरान उन्होंने लोगों की जिंदगी बचाने के लिए अपनी जान तक दांव पर लगा दी थी,इसी के चलते अंग्रेजी हुकूमत ने उन्हें कैसर-ए-हिंद पदक से सम्मानित किया था, जिसको बाद में सरोजिनी नायडू ने लौटा दिया था,यह पदक उन्होंने जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद वापस किया था। सरोजनी नायडू का निधन साल 1949 में 2 मार्च के दिन लखनऊ में हुआ था।

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