अयोध्या: परमहंसाचार्य को संतों ने बताया फर्जी जगद्गुरु, जिले से बाहर करने का प्रस्ताव किया पारित

अयोध्या: परमहंसाचार्य को संतों ने बताया फर्जी जगद्गुरु, जिले से बाहर करने का प्रस्ताव किया पारित

अयोध्या। ऊल-जुलूल बयान व अनोखे कारनामे को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहने वाले तपस्वी छावनी के कथित परमहंसाचार्य इस दफा चौतरफा घिर गए हैं। रामनगरी में सतों ने परमहंस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। संतों ने बैठक कर परमहंस को अयोध्या से बाहर निकाले जाने का प्रस्ताव पारित किया है। अखाड़ा परिषद के महासचिव …

अयोध्या। ऊल-जुलूल बयान व अनोखे कारनामे को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहने वाले तपस्वी छावनी के कथित परमहंसाचार्य इस दफा चौतरफा घिर गए हैं। रामनगरी में सतों ने परमहंस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। संतों ने बैठक कर परमहंस को अयोध्या से बाहर निकाले जाने का प्रस्ताव पारित किया है।

अखाड़ा परिषद के महासचिव गौरी शंकर दास ने परमहंस पर फर्जी तरीके से जगतगुरु लिखे जाने पर आपत्ति जताते हुए केस दर्ज करने की मांग रखी। मणिराम छावनी में आयोजित संतों की बैठक की अध्यक्षता महंत नृत्य गोपाल दास के उत्तराधिकारी कमल नयन दास ने की। इस दौरान संतों ने बताया कि  तपसी छावनी में निवास कर रहे परमहंस दास नहीं बल्कि वह उदय रामदास है, जो कि अपने नाम व पद को बदलकर फर्जी रूप से महंत बना हुआ है। संतों ने आरोप लगाया कि परमहंस दास अयोध्या के संतों के बीच मर्यादा का उल्लंघन कर रहा है, जिसके कारण पूरे देश में बदनामी भी हो रही है।

संतों ने कार्रवाई की मांग करते हुए अयोध्या आरएम प्रशांत कुमार व कोतवाल देवेंद्र पांडे व को ज्ञापन दिया। साथ ही यह भी कहा कि अगर प्रशासन कार्रवाई नहीं करता है तो संत समाज उसे खुद निष्कासित कर देगा।

राम बल्लभाकुंज के अधिकारी राजकुमार दास, दिगंबर अखाड़ा के महंत सुरेश दास, दंत धवन कुंड के महंत विवेक आचारी, महंत गौरीशंकर दास, जन्मभूमि के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास सहित दर्जनों संत मौजूद रहे।

तपस्वी छावनी में निवास कर रहे संत परमहंस फर्जी

महंत कमल नयन दास ने कहा कि तपस्वी जी की छावनी सिद्ध पीठ है और तपस्वियों का स्थल है। घोर तपस्या कर संतों के लिए इस स्थान की स्थापना की थी, लेकिन आज उस स्थान की मर्यादा भंग हो रही है, जिसके कारण संतों में बड़ी चिंता बनी हुई है। उस स्थान पर एक उदय राम नाम का व्यक्ति जिसका उस स्थान पर कोई अधिकार नहीं वहां के महंत ने भी उन्हें कोई अधिकार नहीं दिया है।

स्वयं परमहंसाचार्य, जगतगुरु, रामानुजाचार्य जैसे पद को लेकर प्रचार प्रसार कर रहा है। इसलिए आज सभी साधु संत समाज के लोग एकजुट होकर उसे अयोध्या से निष्कासित करने का प्रस्ताव रखा है।

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