लखनऊ: सात समुंदर पार तक हो रही यूपी के कछुओं की तस्करी, यह जिले बने गढ़…

लखनऊ: सात समुंदर पार तक हो रही यूपी के कछुओं की तस्करी, यह जिले बने गढ़…

लखनऊ। उत्तर प्रदेश अपनी जैव विविधता के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। खासकर कछुओं की ढेर सारी प्रजातियां हमेशा ही उत्तर प्रदेश को आकर्षण का केंद्र बनाती रही हैं। पर उत्तर प्रदेश में कछुए सुरक्षित नहीं हैं। जी हां, यूपी के कछुओं की तस्करी करके सात समुंदर पार बेचा जा रहा है। दरअसल उत्तर …

लखनऊ। उत्तर प्रदेश अपनी जैव विविधता के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। खासकर कछुओं की ढेर सारी प्रजातियां हमेशा ही उत्तर प्रदेश को आकर्षण का केंद्र बनाती रही हैं। पर उत्तर प्रदेश में कछुए सुरक्षित नहीं हैं। जी हां, यूपी के कछुओं की तस्करी करके सात समुंदर पार बेचा जा रहा है। दरअसल उत्तर प्रदेश कछुओं की तस्करी का गढ़ बनता जा रहा है।

देश की 25 में से 11 प्रजातियों की धुआंधार तस्करी

भारत में कछुओं की 25 प्रजातियां पाई जाती है। जिनमें से 14 प्रजातियों सिर्फ लखनऊ में ही पाई जाती हैं। हैरानी की बात ये है कि इनमें से 11 प्रजातियों की इन दिनों धुआंधार तरीके से तस्करी हो रही है। उत्तर प्रदेश से सबसे अधिक सॉफ्टसेल टॉरट्वाइज (कछुए) की तस्करी की जा रही है।

शक्तिवर्धक दवाओं और कंघे बनाने के लिए पाले जा रहे कछुए

कछुओं की तस्करी से तस्करों को करोड़ा रुपये का लाभ हो रहा है। दरअसल कछुओं की कैलपी (खोल) को सुखाकर व मांस निकालकर शक्तिवर्धक दवाएं बनाने और कंघें, ब्रोच, हेयरक्लिप आदि बनाने के लिए बेचा जा रहा है। वहीं कई देशों में साफ्टसेल टॉरट्वाइज को खाया भी जाता है।

उत्तर प्रदेश में गंगा, यमुना, गोमती, चम्बल और घाघरा नदी में बहुतायत में कछुए पाये जाते हैं। वहीं नदियों से कछुओं को निकालकर तालाबों में पाला जाता है। उचित साइज का होने पर इन्हें तस्करों को बेच दिया जाता है।

सहारनपुर की बजाय अब लखनऊ, इटावा बने नया गढ़

पहले उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक सहारनपुर व लखीमपुर से कछुओं की तस्करी की जाती थी। पर अब लखनऊ, कानपुर देहात, उन्नाव, सीतापुर, इटावा व मैनपुरी में बहुतायत में कछुओं को तस्करी के लिए तालाबों में पाला जा रहा है। पिछले दो मामलों में यूपी एसटीएफ ने उन्नाव और इटावा से बड़ी मात्रा में तस्करी किये जा रहे कछुओं को बरामद किया है।

यूपी से लेकर चीन तक फैला है नेटवर्क

यूपी एसटीएफ से मिली जानकारी के अनुसार कछुओं की तस्करी का नेटवर्क उत्तर प्रदेश से लेकर पश्चिम बंगाल व बांग्लादेश से होते हुए चीन तक फैला हुआ है। एसटीएफ के अनुसार उत्तर प्रदेश के अंतर्राज्यीय तस्कर पश्चिम बंगाल में बैठे अंतर्राष्ट्रीय तस्करों को कछुए सप्लाई करते हैं। जिसे पश्चिम बंगाल से समुंदर के रास्ते बांग्लादेश पहुंचाया जाता है। इसके बाद बांग्लादेश से चीन, हांगकांग, मलेशिया, जापान आदि देशों को बेचा जाता है।

उत्तर प्रदेश में कछुओं की तस्करी के मामले बढ़ रहे हैं। एसटीएफ को इस सिंडिकेट के खिलाफ बड़ी सफलता मिली है। कानुपर, उन्नाव, लखनऊ, इटावा, मैनपुरी से कई तस्कर पकड़े गये हैं। शक्तिवर्धक दवाओं और सौंदर्य प्रसाधनों के लिए कछुओं की तस्करी की जा रही है। यूपी एसटीएफ इस नेटवर्क को तोड़ने में लगी हुई है।

– विशाल विक्रम, एसपी, एसटीएफ लखनऊ

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