चुनावी मुद्दा : उम्मीद के ‘टॉनिक’ ने खत्म कर दी दावेदारों की ‘भूख’

अविक ठाकुर/अमृत विचार। विधानसभा चुनाव का बिगुल बजते ही जीत की उम्मीद के ‘टॉनिक’ ने दावेदारों की ‘भूख’ खत्म कर दी है। ऐसे में कोई दावेदार एक समय का भोजन कर रहा है तो कोई पूरा दिन चाय पीकर ही जनसंपर्क में जुटा है, जिससे वे जनता को अपनी ओर आकर्षित कर सकें। उस दौर …
अविक ठाकुर/अमृत विचार। विधानसभा चुनाव का बिगुल बजते ही जीत की उम्मीद के ‘टॉनिक’ ने दावेदारों की ‘भूख’ खत्म कर दी है। ऐसे में कोई दावेदार एक समय का भोजन कर रहा है तो कोई पूरा दिन चाय पीकर ही जनसंपर्क में जुटा है, जिससे वे जनता को अपनी ओर आकर्षित कर सकें। उस दौर में प्रत्याशी पैदल ही अपने विधानसभा क्षेत्र में जनसंपर्क किया करते थे। अगर बीच में भूख लगती थी तो लोगों के घर ही चाय-पानी पी लिया करते थे। साथ ही अपने समर्थक का भी ध्यान रखते थे।
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इस बार चुनाव निकट आते ही जीत के टॉनिक ने उनकी भूख ही खत्म कर दी है। भले ही प्रत्याशी एक समय या फिर चाय पीकर ही निकल जाते हैं। लेकिन, नाश्ते में भरपूर मात्रा में प्रोटीन से संबंधित चीजें जैसे अंडा, दलिया, जूस, फ्रूट और ड्राईफ्रूट खाते हैं। वहीं कुछ दावेदार तो साधारण भोजन ही ग्रहण कर जनसंपर्क के लिए निकलते हैं, जिससे ऊर्जा बनी रहे।
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भाजपा के वरिष्ठ नेता उमेश त्रिवेदी कहते हैं कि भाजपा राजनीति में शुचिता की बात करती है। जिस तरह हम डायट से शरीर को स्वस्थ रखते हैं, वैसे ही सख्त कानून व्यवस्था से भाजपा समाज को बेहतर बनाया है। उन्होंने सपा पर आरोप मढ़ा कि वह झूठ की राजनीति करती है। सपा सरकार में बिजली आती ही नहीं थी तो फिर मुफ्त देने की घोषणा हाथी दांत ही साबित होगी।
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