World Cancer Day : मुरादाबाद में सरकारी तंत्र के भरोसे न रहें कैंसर रोगी

World Cancer Day : मुरादाबाद में सरकारी तंत्र के भरोसे न रहें कैंसर रोगी

मुरादाबाद/अमृत विचार। इसे विडंबना कहें या व्यवस्था की खामी। मंडल मुख्यालय पर कैंसर जैसे गंभीर रोग के इलाज का न तो सरकारी अस्पताल में इंतजाम है, न निजी में इसके निदान का समुचित प्रबंध। ऐसे में मरीजों को अपनी जान बचाने के लिए मेरठ, बरेली लखनऊ, दिल्ली की दौड़ लगानी पड़ती है। हर साल चार …

मुरादाबाद/अमृत विचार। इसे विडंबना कहें या व्यवस्था की खामी। मंडल मुख्यालय पर कैंसर जैसे गंभीर रोग के इलाज का न तो सरकारी अस्पताल में इंतजाम है, न निजी में इसके निदान का समुचित प्रबंध। ऐसे में मरीजों को अपनी जान बचाने के लिए मेरठ, बरेली लखनऊ, दिल्ली की दौड़ लगानी पड़ती है।

हर साल चार फरवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है। इसका मकसद इस घातक बीमारी की रोकथाम, पहचान और उपचार के लिए प्रोत्साहित करना है। विश्व कैंसर दिवस, 2008 में लिखे गए विश्व कैंसर घोषणा के लक्ष्यों का समर्थन करने के लिए यूनियन फॉर इंटरनेशनल कैंसर कंट्रोल (यूआईसीसी) के नेतृत्व में कार्यरत है। विश्व कैंसर दिवस मनाने का मुख्य लक्ष्य कैंसर की बीमारी के कारण होने वाली मौतों को कम करना है।

लेकिन, अचरज है कि 38 लाख से अधिक आबादी वाले मंडल मुख्यालय मुरादाबाद में कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के इलाज का कोई प्रबंध नहीं है। सरकारी अस्पताल में तो वैसे भी सुविधाओं का टोटा है। लेकिन निजी अस्पतालों में भी सुपर स्पेशियलिटी सुविधा की कमी है। ऐसे में यदि किसी सरकारी या निजी अस्पताल में कोई गंभीर मरीज आता भी है तो उसे सर्जरी या बेहतर चिकित्सा के लिए रेफर कर दिया जाता है। सरकारी अस्पताल में पहुंचे मरीज को उच्च चिकित्सा संस्थान के नाम पर मेरठ के सरकारी मेडिकल कॉलेज में भेजा जाता है। कई बार मरीज या उसके परिवार की इच्छा पर बरेली, लखनऊ या दिल्ली के लिए भी चिकित्सक या चिकित्साधिकारी रेफर कर देते हैं।

पहली बार जिनेवा में मना था विश्व कैंसर दिवस
1933 में अंतर्राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण संघ ने स्विट्जरलैंड में जिनेवा में पहली बार विश्व कैंसर दिवस मनाया था। 2014 में इसे विश्व कैंसर घोषणा के लक्ष्य 5 पर केंद्रित किया गया है जो कैंसर के कलंक को कम और मिथकों को दूर करने से संबंधित है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार हर साल 76 लाख लोग इस बीमरी से दम तोड़ते हैं। इनमें 40 लाख लोग समय से पहले (30-69 वर्ष आयु वर्ग) मर जाते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के 2025 तक कैंसर के कारण समय से पहले होने वाली मौतों में 25 प्रतिशत कमी का लक्ष्य हासिल हो गया तो हर साल 15 लाख जीवन बच सकता है।

अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. अजय कुमार शर्मा ने बताया कि जिले में सरकारी और निजी अस्तपाल में कैंसर के इलाज की व्यवस्था नहीं है। कैंसर रोगियों की संख्या का आंकड़ा सीएमओ कार्यालय स्तर से तैयार नहीं किया जाता है। मरीज के सरकारी अस्पताल में आने पर उसे मेरठ के लिए रेफर करते हैं। मरीज या परिवार की लिखित स्वीकृति पर कई बार लखनऊ दिल्ली या बरेली रेफर कर दिया जाता है।

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