स्वामी के कदम से बिगड़े ऊंचाहार के समीकरण, जानें पूरा मामला…

रायबरेली। अपने इस्तीफे से प्रदेश की राजनीति में भूचाल लाने वाले प्रदेश के कद्दावर ओबीसी नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की कर्मस्थली ऊंचाहार में खासी उठापटक है। उनके दलबदल के कारण ऊंचाहार विधान के सभा के सभी समीकरण बिगड़ गए हैं। स्वामी के कदम से सिर्फ भाजपा ही नहीं सपा , बसपा और कांग्रेस में हलचल …
रायबरेली। अपने इस्तीफे से प्रदेश की राजनीति में भूचाल लाने वाले प्रदेश के कद्दावर ओबीसी नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की कर्मस्थली ऊंचाहार में खासी उठापटक है। उनके दलबदल के कारण ऊंचाहार विधान के सभा के सभी समीकरण बिगड़ गए हैं। स्वामी के कदम से सिर्फ भाजपा ही नहीं सपा , बसपा और कांग्रेस में हलचल बढ़ गई है। तमाम दावेदारों की धड़कने तेज है तो समर्थकों में अनिश्चितता और मायूसी का माहौल है।
जैसी की संभावना थी कि स्वामी प्रसाद मौर्य का अगला ठिकाना समाजवादी पार्टी होने वाली है तो इससे ऊंचाहार के वर्तमान सपा विधायक मनोज पाण्डेय के खेमे में सबसे अधिक खलबली है। यह बात सभी का पता है कि ऊंचाहार विधान सभा सीट स्वामी प्रसाद की पहली प्राथमिकता रही है। उन्होंने अपनी राजनीति की शुरुआत डलमऊ से की थी जो अब ऊंचाहार के नाम से जानी जाती है।
यही नहीं उन्होंने जिस पिछड़े समाज को एकत्र करके प्रदेश में अपनी जमीन तैयार की है, इसका आगाज भी उन्होंने 1996 में इसी विधानसभा से ही किया था । ऊंचाहार विधान सभा में करीब 55 हजार मौर्य मतदाता है , जो केवल स्वामी प्रसाद को अपना नेता मानते है। यह मतदाता किसी भी सूरत में स्वामी को छोड़ना नहीं चाहता और न ही स्वामी प्रसाद इस मतदाता को छोड़ना चाहते हैं।
ऐसी दशा में ऊंचाहार सीट को वह किसी भी दशा में नहीं छोड़ेंगे । इस परिस्थिति में सबसे बड़ी असहज स्थित सपा विधायक व पूर्व मंत्री मनोज पांडेय के समर्थकों की होने वाली है। यदि स्वामी के सुपुत्र उत्कर्ष ऊंचाहार से सपा से उम्मीदवार होंगे तो मनोज पांडेय का समर्थन करने वाला ब्राह्मण मतदाता दूसरा ठिकाना तलाशेगा। कारण 35 हजार की संख्या वाला ब्राह्मण वर्ग किसी भी दशा में स्वामी प्रसाद के साथ नहीं जाएगा। इसका सबसे बड़ा कारण है कि स्वामी प्रसाद में अगड़ी जाति के विरोध पर ही अपनी जमीन तैयार की है और वह आज भी अपनी उसी जमीन और विचारधारा पर सियासत कर रहे है।
दूसरी तरफ यह भी संभावना जताई जा रही है कि मनोज पाण्डेय भाजपा से यहां चुनाव लड़ सकते है , ऐसी दशा में वह एक कमजोर उम्मीदवार साबित हो होंगे । जो किसी भी दशा में वह नहीं करेंगे । तीसरी सबसे अधिक संभावना कांग्रेस में टूट की है।
सूत्रों से मिली रही जानकारी के अनुसार भाजपा अब अरखा के राजा और कांग्रेस के पूर्व विधायक कुंवर अजय पाल सिंह पर डोरे डाल रही है । यदि राजा अरखा भाजपा से मैदान में आ गए तो ऊंचाहार में अगड़ी जातियों का एक मजबूत समीकरण बन सकता है जिसमे ब्राह्मण , ठाकुर और वैश्य वर्ग का मतदाता उनके साथ भाजपा में एकजुट हो सकता है । इस उभर रहे समीकरण में एक बार फिर ऊंचाहार में सपा और भाजपा में सीधी टक्कर बन सकती है । उधर बसपा खेमा चाहता है कि स्वामी प्रसाद के परिवार का कोई व्यक्ति ऊंचाहार से चुनाव न लड़े।
इसका सीधा फायदा बसपा की संभावित उम्मीदवार अंजलि मौर्या को मिल सकता है । क्योंकि जब केवल अंजलि मौर्य ही मौर्य बिरादरी से उम्मीदवार रहेंगी तब क्षेत्र का मऊर्य मतदाता एक मुस्त बसपा में चला जाएगा और बसपा काफी मजबूत स्थिति में आ जाएगी । इसलिए बसपा स्वामी प्रसाद मौर्य को लेकर मनोज पांडेय की भावना के साथ है । उधर भाजपा में टिकट के दावेदार भी यह चाहते है कि पार्टी अब किसी नए चेहरे को पार्टी में शामिल न करके अपने पुराने किसी नेता को ही मैदान में उतारे। लेकिन भाजपा में अब जो दावेदार है , उनकी जमीन कड़ी कमजोर है । ऐसी दशा में पार्टी कहीं न कहीं मजबूत उम्मीदवार अवश्य लाएगी । अब क्या होता है , यह तो आने वाले दिनों में साफ हो जाएगा किन्तु फिलहाल स्वामी प्रसाद मौर्य को लेकर ऊंचाहार में हर किसी की धड़कने तेज है ।
पढ़ें- UP Election 2022: विधायक विनय शाक्य ने भी दिया बीजेपी से इस्तीफा