अदिति सिंह के पाला बदलने से रायबरेली में बदल गये चुनावी समीकरण

रायबरेली। उत्तर प्रदेश की रायबरेली लोकसभा सीट परंपरागत तौर पर वैसे तो कांग्रेस का गढ़ रही है। लेकिन आगामी विधानसभा चुनाव से पहले रायबरेली की कांग्रेस विधायक अदिति सिंह की ओर से पाला बदलने का असर चुनावी समीकरणों में भी बदलाव के रूप में साफ देखा जा सकता है। गौरतलब है कि रायबरेली लोकसभा सीट …

रायबरेली। उत्तर प्रदेश की रायबरेली लोकसभा सीट परंपरागत तौर पर वैसे तो कांग्रेस का गढ़ रही है। लेकिन आगामी विधानसभा चुनाव से पहले रायबरेली की कांग्रेस विधायक अदिति सिंह की ओर से पाला बदलने का असर चुनावी समीकरणों में भी बदलाव के रूप में साफ देखा जा सकता है। गौरतलब है कि रायबरेली लोकसभा सीट से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी सांसद हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में पड़ोस की अमेठी लोकसभा सीट से कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की हार का असर रायबरेली के सियासी समीकरणों पर भी पड़ना शुरु हुआ है।

अदिति सिंह के पाला बदलकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने को इसी के नतीजे के रूप में देखा जा रहा है। इसके अलावा रायबरेली जिले में कुल छह विधानसभा सीट हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में दो सीट, रायबरेली सदर और हरचंदपुर से कांग्रेस के उम्मीदवार जीते थे। जबकि तीन सीटें, बछरांवा, सरेनी और सलोन भाजपा ने जीती थीं। वहीं, ऊंचाहार सीट पर समाजवादी पार्टी (सपा) ने कब्जा जमाया था। नेहरू गांधी परिवार की विरासत सीट रहने के कारण रायबरेली में केंद्र सरकार के प्रमुख उद्योगों (इंडियन टेलीफोन इंडस्ट्रीज, नेशनल थर्मल पॉवर कारपोरेशन और रेल कोच फैक्ट्री आदि) की स्थापना ने इस इलाके में शहरीकरण की गति शुरू से ही तेज रखी। उत्तर प्रदेश के पहले एम्स की स्थापना भी इसी का नतीजा है।

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यहां उच्च शिक्षा के लिए निफ्ट, इंजीनियरिंग कॉलेज और शोध संस्थान आदि भी हैं। जहां तक रायबरेली विधानसभा क्षेत्र की बात है तो इस सीट पर पिछले लगभग तीन दशकों से सदर विधायक रहे अखिलेश सिंह और उनके परिवार का वर्चस्व रहा है। सदर विधानसभा सीट पर 1993 से विधायक रहे अखिलेश सिंह ने 2017 में अपनी बेटी अदिति सिंह को इस सीट से विधायक बनावाने में कामयाबी हासिल की। हालांकि वर्ष 2019 में अखिलेश सिंह के निधन के बाद से ही अदिति का भी कांग्रेस से मोहभंग होने लगा। वहीं, चुनाव परिणाम के आंकड़ों के मुताबिक अदिति सिंह ने 2017 के चुनाव में बसपा के मोहम्मद शाबाज खान को 89,163 वोट के बड़े अंतर से हराया था। इसके अलावा कांग्रेस के ही प्रभाव वाली रायबरेली जिले की सरेनी विधानसभा सीट पर भी 1991 में भाजपा ने कांग्रेस के विजय रथ को रोक दिया था। भाजपा ने 2017 में भी यहां जीत हासिल की।

इस चुनाव में भाजपा के धीरेंद्र बहादुर सिंह ने बसपा के ठाकुर प्रसाद यादव को 13007 वोट से हराया था। कांग्रेस के अशोक सिंह तीसरे स्थान पर आए थे। वहीं, 2012 में सपा के देवेंद्र प्रताप सिंह ने बसपा के सुशील कुमार को 12919 वोट से हराया था। इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी दल बहादुर कोरी ने कांग्रेस के सुरेश चौधरी को 16055 वोट से शिकस्त दी थी। वहीं, 2012 में यहां सपा की आशा किशोर विजयी हुई थीं। रायबरेली जिले की ऊंचाहार सीट पर लगातार दो बार से सपा के मनोज पांडे का कब्जा है। मगर, हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से किसान बिल की वापसी और पेट्रोलियम पदार्थों के दामों में कमी का फैसला कारगर रहने की पुष्टि चुनाव परिणाम से ही होगी।

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