बरेली: अनुदान मिलने पर भी बंद उद्योग शुरू करने में रूचि नहीं ले रहे उद्यमी

बरेली: अनुदान मिलने पर भी बंद उद्योग शुरू करने में रूचि नहीं ले रहे उद्यमी

बरेली, अमृत विचार। कोरोना महामारी के चलते लगे लाकडाउन में कई तरह के धंधे चौपट हो गए। बड़ी संख्या में खाद्य प्रसंस्करण से जुड़ी इकाईयां बंद हुईं तो हजारों लोगों से रोजगार छिन गया। ऐसे में इन इकाईयों के उच्चीकरण को लेकर केंद्र सरकार की योजना परवान नहीं चढ़ पा रही है। योजना के तहत …

बरेली, अमृत विचार। कोरोना महामारी के चलते लगे लाकडाउन में कई तरह के धंधे चौपट हो गए। बड़ी संख्या में खाद्य प्रसंस्करण से जुड़ी इकाईयां बंद हुईं तो हजारों लोगों से रोजगार छिन गया। ऐसे में इन इकाईयों के उच्चीकरण को लेकर केंद्र सरकार की योजना परवान नहीं चढ़ पा रही है। योजना के तहत बंद उद्यमों को दोबारा शुरू करने व नई इकाई लगाने पर 10 लाख रुपये के अनुदान का प्रावधान है। 3 महीने पहले इसकी घोषणा हुई लेकिन उद्यमी इसमें उत्साह नहीं दिखा रहे हैं। अभी तक केवल 25 लोगों ने आवेदन किए। इसमें भी केवल 3 लोगों ने दिलचस्पी दिखाई। बाकी ने आगे की प्रक्रिया पूरी तक नहीं की।

विभागीय अफसरों के मुताबिक कोरोना काल या किसी अन्य कारणों की वजह से बंद पड़ी खाद्य प्रसंस्करण से जुड़ी इकाइयों को दोबारा शुरू कराने के लिए सरकार ने प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद उद्योग उन्नयन योजना शुरू की है। सरकार ने क्षमता बढ़ाने और नई इकाई लगाने का 147 लक्ष्य निर्धारित किया है।

वहीं, लाभार्थी को इकाई लगाने के लिए लागत का 10 प्रतिशत स्वयं और शेष बैंक ऋ ण लेना होगा। इसको लेकर विभाग की तरफ से प्रचार प्रसार भी किया जा रहा है। लेकिन जिले में योजना परवान नहीं चढ़ रही। इसको लेकर अफसर भी परेशान हैं। हालांकि उनका कहना है निर्धारित समय में लक्ष्य पूरा हो जाएगा।

योजना में इन इकाइर्यों को किया शामिल
योजना के तहत अचार, मुरब्बा, चटनी से लेकर अन्य उत्पाद बनाने की लगाई या पहले से चल रहे इकाई की क्षमता वृद्धि की जा सकती है। इसके अलावा बेकरी उद्योग, पशु एवं मुर्गी चारा उद्योग, चावल मिल, दूध उत्पाद, फल प्रसंस्करण, मशरूम प्रसंस्करण, मसाला, नमकीन, मिठाई बनाने के लिए इकाई लगाई जा सकती है।

इस योजना के तहत उद्यमियों को 30 लाख रुपये तक की इकाई स्थापित करने पर 10 लाख रुपये तक का अनुदान दिया जाना है। 3 महीने पहले यह योजना लागू हुई लेकिन उद्यमी इसमें खास रुचि नहीं दिखा रहे हैं। जबकि जिले में खाद प्रसंस्करण की काफी संभावना है। कम लोगों के रूचि नहीं लेने का कारण समझ में नहीं आ रहा है। -पुनीत पाठक, जिला उद्यान अधिकारी

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