बरेली: सामुदायिक शौचालय के ताले खुले नहीं, भेज जा रहा मानदेय

बरेली: सामुदायिक शौचालय के ताले खुले नहीं, भेज जा रहा मानदेय

बरेली, अमृत विचार। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता की अलख जगाने के लिए केंद्र व प्रदेश सरकार तमाम योजनाएं चल रही हैं। इसके तहत जहां घर-घर शौचालय बनवाए जा रहे हैं, वहीं पंचायती राज विभाग को प्रत्येक ग्राम पंचायत में सामुदायिक शौचालय बनाने के निर्देश थे, लेकिन जिले में अधिकांश शौचालयों की देखरेख के नाम पर …

बरेली, अमृत विचार। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता की अलख जगाने के लिए केंद्र व प्रदेश सरकार तमाम योजनाएं चल रही हैं। इसके तहत जहां घर-घर शौचालय बनवाए जा रहे हैं, वहीं पंचायती राज विभाग को प्रत्येक ग्राम पंचायत में सामुदायिक शौचालय बनाने के निर्देश थे, लेकिन जिले में अधिकांश शौचालयों की देखरेख के नाम पर धनराशि आवंटन में बड़ा गड़बड़झाला हो रहा है। जिन शौचालयों पर ताले लटके हैं विभाग इनकी देखरेख के नाम पर स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को मानदेय दे रहा है। यह मामला इन दिनों विकास भवन में चर्चा है।

मामला बिथरीचैनपुर की ग्राम पंचायत गूंगा में बने सामुदायिक शौचालय का है। चार माह पूर्व तैयार हुए इस शौचालय का ताला अब तक नहीं खुला लेकिन इसकी सफाई व्यवस्था और देखरेख का भुगतान नियमित तरीके से हर महीने हो रहा है। इधर, बताया जाता है कि दिसंबर महीने में प्रधानों का कार्यकाल खत्म होने के बाद कई महीनों तक सामुदायिक शौचालयों की देखरेख का जिम्मा गांव वालों पर था।

इस बीच ग्राम प्रधान के चुनाव समाप्त होते ही शासन से समूहों की देखरेख की जिम्मेदारी तय करते हुए तीन महीने के लिए 27 हजार का भुगतान करने के निर्देश दिए थे। इनमें छह हजार महीने के हिसाब से 18 हजार का मानदेय व तीन हजार प्रति माह के हिसाब से नौ हजार साबुन, तेल व अन्य सामग्री के शामिल हैं। ग्रामीणों का कहना है सामुदायिक शौचालय पर ताला लटकने की वजह से तमाम लोग खुले में शौच जाने को मजबूर है। उन्होंने शौचालय का ताला खुलवाने की मांग की है।

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