उत्तराखंड: जागेश्वर धाम, जहां देवों के देव महादेव ने की तपस्या, यहीं से शुरू हुई शिवलिंग के पूजन की परंपरा

उत्तराखंड: जागेश्वर धाम, जहां देवों के देव महादेव ने की तपस्या, यहीं से शुरू हुई शिवलिंग के पूजन की परंपरा

अल्मोड़ा, अमृत विचार। उत्तराखंड की धरती को देवभूमि के नाम से जाना जाता है। यहां मौजूद देवों के धाम इस बात को साबित भी करते हैं। बद्रीनाथ, केदारनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री जैसे चार धामों के अलावा यहां ऐसे अनगिनत शक्तिपीठ हैं जिनके दर्शन करने के लिए साल भर देश और विदेश से श्रद्धालु यहां आते …

अल्मोड़ा, अमृत विचार। उत्तराखंड की धरती को देवभूमि के नाम से जाना जाता है। यहां मौजूद देवों के धाम इस बात को साबित भी करते हैं। बद्रीनाथ, केदारनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री जैसे चार धामों के अलावा यहां ऐसे अनगिनत शक्तिपीठ हैं जिनके दर्शन करने के लिए साल भर देश और विदेश से श्रद्धालु यहां आते हैं। ऐसा ही एक धाम सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा के पास स्थित है। यह पौराणिक जागेश्वर धाम के नाम से विश्व प्रसिद्ध है। मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना गया है।

जागेश्वर धाम में स्थित विभिन्न मंदिर।

जागेश्वर धाम स्थित भगवान शिव का मंदिर करीब 2500 साल पुराना है। शिव पुराण, स्कंद पुराण आदि पौराणिक कथाओं में भी मंदिर का जिक्र है। जाटगंगा नदी की घाटी में स्थित मंदिर में शिलालेख, नक्काशी और वास्तुकला से जुड़ी कई पौराणिक निशानियां हैं जो महादेव के इस धाम को सबसे अनूठा बनाती हैं।

जागेश्वर धाम में स्थापित हैं 124 मंदिर

पौराणिक कथाओं के अनुसार, जागेश्वर धाम में भगवान शिव और सप्तऋषियों ने तपस्या की शुरुआत की थी। जिसके बाद इस स्थान पर शिव लिंग को पूजा जाने लगा था। शिव का यह धाम केदारनाथ मंदिर की तरह नजर आता है। मंदिर परिसर में करीब 124 छोटे-छोटे मंदिर बने हुए हैं जो महादेव की महिमा का जाहिर करते हैं।

देवदार के हरे भरे पेड़ों के बीच स्थित महादेव का धाम जागेश्वर धाम।

कैसे पहुंचे जागेश्वर

जागेश्वर धाम पहुंचने के लिए बस, टैक्सी, ट्रेन आदि सुविधाएं उपलब्ध हैं। दिल्ली से जागेश्वर आने के लिए पहले 270 किमी हल्द्वानी तक ट्रेन या बस से आना होगा। इसके बाद हल्द्वानी से जागेश्वर करीब 120 किमी बस या टैक्सी से पहुंचा जा सकता है। यहां रुकने के लिए कई निजी होटल और कुमाऊं मंडल विकास निगम का गेस्ट हाउस भी है।