बरेली: फुटकर माल पर खुलेआम चल रहा टैक्स चोरी का खेल

बरेली: फुटकर माल पर खुलेआम चल रहा टैक्स चोरी का खेल

बरेली, अमृत विचार। कोरोना काल में भले ही शासन के निर्देश पर टैक्स चोरों पर छापेमारी का अभियान थमा रहा लेकिन अब मिली छूट के बाद भी शहर में खुलेआम टैक्स चोरी का खेल चल रहा है। लंबे समय से चल रहे इस खेल की भनक वाणिज्यकर विभाग को भी है मगर साठगांठ से सचल …

बरेली, अमृत विचार। कोरोना काल में भले ही शासन के निर्देश पर टैक्स चोरों पर छापेमारी का अभियान थमा रहा लेकिन अब मिली छूट के बाद भी शहर में खुलेआम टैक्स चोरी का खेल चल रहा है। लंबे समय से चल रहे इस खेल की भनक वाणिज्यकर विभाग को भी है मगर साठगांठ से सचल दल टैक्स चोरों पर कार्रवाई से कतरा रहा है। हाल ही के कुछ मामले तो ऐसे भी हैं जिन्हें जांच के नाम पर उन्हें अभिलेखों में दफन कर दिया गया।

माधोबाड़ी, श्यामगंज, डेलापीर समेत कई जगह वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) चोरी के गढ़ के रूप में चर्चा में हैं। यहां करीब दो दर्जन ट्रांसपोर्ट कंपनियां ऐसी हैं, जहां 24 घंटों में 20 घंटे तक विभिन्न तरह का सैकड़ों टन माल लोड व अनलोड होता रहता है। इनमें ज्यादातर माल फुटकर का होता है। एक ही ट्रक में 20 से 30 तरह का माल और सभी अलग-अलग व्यापारियों का होता है।

इसमें कई तरह की खाद्य सामग्री भी होती है जिस पर जीएसटी के अलावा मंडी शुल्क भी लगता है, लेकिन यहां सब दलालों के भरोसे चल रहा है। इसमें कुछ माल का बिल होता है। 40 प्रतिशत तक टैक्स की चोरी कर सरकार को प्रतिदिन लाखों रुपये का चूना लगाया जा रहा है। वहीं इन दिनों सचल दल शहर के अंदर अनलोड हो रहे माल के बिल चेक करने के बजाय केवल दिल्ली, लखनऊ और उतराखंड की ओर से शहर में प्रवेश होने वाले प्वाइंट पर ही कभी-कभी चेकिंग करने तक सीमित है।

बिल से इस तरह हो रहा खेल
जब ट्रक लोड होकर ट्रांसपोर्ट पर आता है तो माल के साथ बिल भी आता है। यहां पर अधिकारियों के द्वारा बिल चेक करके नेट पर अपलोड नहीं किया जाता है। माल अनलोड होने के बाद यही बिल वापस चला जाता है। करीब 40 प्रतिशत तक का टैक्स चोरी कर लिया जाता है जब दोबारा माल आता है तो यही बिल फिर से माल के साथ भेज दिया जाता है। यह प्रक्रिया तब तक चलती है, जब तक कि यह बिल क्रमांक नेट पर अपलोड नहीं हो जाता। सूत्र बताते हैं कि कई बार एक ही बिल पर दर्जनों बार माल आ जाता है। टैक्स चोरी का यही मुख्य खेल है, जो बिल के नाम पर खेला जाता है।

ट्रांसपोर्ट एजेंसियां लेती हैं ठेका
शहर में तीन दर्जन के करीब ट्रांसपोर्ट एजेंसी संचालित हैं। सबसे अधिक ट्रांसपोर्ट एजेंसी उसी कंपनी की चलती है, जो टैक्स चोरी के माल को सुरक्षित व्यापारी के पास पहुंचाने का ठेका कम कमीशन में लेता है। सबसे अधिक टैक्स चोरी का माल आगरा, झांसी, लखनऊ, हाथरस और गाजियाबाद की ओर से आने वाले ट्रांसपोर्ट में होता है। व्यापारी को अपना माल उठाने के लिए नहीं आना पड़ता। ट्रांसपोर्ट एजेंसी व्यापारी के गोदाम तक ही माल को सुरक्षित पहुंचा देते हैं। शहर में यह चर्चा आम हो गई है कि इन ट्रांसपोर्ट एजेंसी वालों के सभी अधिकारियों से साठगांठ होती है।

सचल दल की टीम सक्रिय है। शहर में ज्यादा माल फुटकर आता है। यह बात सही है कि सभी माल को चेक करना संभव नहीं है। शत-प्रतिशत बिल पर माल नहीं आने की शिकायत मिलती है तो इसकी जांच कराकर संबंधित पर कार्रवाई की जाएगी। -गौरीशंकर, डिप्टी कमिश्नर वाणिज्यकर विभाग

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