आरटीई: सत्यापन के बाद होगा बकाया फीस का भुगतान, निजी स्कूलों का फंसा 340 करोड़
लखनऊ। शिक्षा का अधिकार अधिनियम आरटीई गरीब बच्चे को किसी भी निजी स्कूल में निशुल्क एडमिशन का अधिकार देता , लेकिन इस अधिकार पर सरकार की ओर से बकाया फीस ग्रहण लगा रही है। पिछले तीन सालों से राजधानी सहित प्रदेश के अलग-अलग जिलों में संचालित निजी स्कूल प्रबंधनों का 340 करोड़ के बजट का …
लखनऊ। शिक्षा का अधिकार अधिनियम आरटीई गरीब बच्चे को किसी भी निजी स्कूल में निशुल्क एडमिशन का अधिकार देता , लेकिन इस अधिकार पर सरकार की ओर से बकाया फीस ग्रहण लगा रही है। पिछले तीन सालों से राजधानी सहित प्रदेश के अलग-अलग जिलों में संचालित निजी स्कूल प्रबंधनों का 340 करोड़ के बजट का भुगतान नहीं हो पा रहा है।
ऐसे में हर जिलों में अधिकांश बच्चों का प्रवेश बड़ी दिक्कतों के बाद हो पाया है। इसमें भी नामी स्कूल प्रबंधनों ने अभी तक एडमिशन नहीं लिए हैं। वहीं निजी स्कूलों की फीस रोके जाने का सबसे बड़ा कारण जो निकल कर आ रहा है, उसकी वजह प्रवेश लेने वाले वास्तविक छात्रों की संख्या कम है। शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों का कहना है छात्र संख्या कि सत्यापन रिपोर्ट अभी तक फाइनल नहीं हो पाई है, सत्यापन रिपोर्ट जाने के बाद ही सरकार बजट जारी करेगी।
इस तरह से होता है फीस का भुगतान
– आरटीई के तहत सरकार प्रति माह 450 रुपये फीस प्रतिपूर्ति के रूप में देती है। वहीं 5000 रुपये एकमुश्त प्रतिवर्ष यूनिफार्म व किताबों आदि के लिए देती है। सरकार ने 2022-23 में प्रवेश पाने वाले 10 हजार छात्रों का ही पैसा जारी हो सका है। ऐसे में पुरानी बकाया फीस को लेकर निजी स्कूल प्रबंधनों को डर सता रहा है।