पीलीभीत: बराही और माला रेंज में हाथियों के बनेगें तालाब-शेड

पीलीभीत: बराही और माला रेंज में हाथियों के बनेगें तालाब-शेड

पीलीभीत, अमृत विचार। कर्नाटक से आने वाले हाथियों के लिए पीटीआर के बराही और माला रेंज में पक्के तालाब और शेड बनाए जाएंगे। वहीं कर्नाटक से हाथियों को लाने की जिम्मेदारी अब वन निगम को दी गई है। इसको लेकर पीटीआर ने 42 लाख रुपये की धनराशि वन निगम को ट्रांसफर भी कर दी है। …

पीलीभीत, अमृत विचार। कर्नाटक से आने वाले हाथियों के लिए पीटीआर के बराही और माला रेंज में पक्के तालाब और शेड बनाए जाएंगे। वहीं कर्नाटक से हाथियों को लाने की जिम्मेदारी अब वन निगम को दी गई है। इसको लेकर पीटीआर ने 42 लाख रुपये की धनराशि वन निगम को ट्रांसफर भी कर दी है। यदि सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो पीटीआर में भी जल्द ही हाथियों की चिंघाड़ सुनाई देगी।
पीलीभीत टाइगर रिजर्व के घने जंगल में पेट्रोलिंग के दौरान आ रही समस्याओं को देखते हुए कर्नाटक से छह हाथियों को लाने की योजना बनाई गई थी। पीटीआर के अफसरों ने शासन को डिमांड भेजी। शासन से हाथियों को लाने के लिए 50 लाख रुपये का बजट भी आवंटित किया था मगर, कोरोनाकाल के चलते यह मामला लटक गया था।

इधर, लंबा समय बीतने के बाद भी पीटीआर हाथियों को लाने में सफल नहीं हो सका। शासन स्तर पर मंथन के बाद कर्नाटक से हाथियों को लाने की जिम्मदारी पीटीआर से लेकर वन निगम को दे दी गई। शासन के निर्देश पर पीटीआर ने 42 लाख रुपये की धनराशि भी वन निगम को ट्रांसफर कर दी है। पीटीआर के अधिकारियों के मुताबिक इन हाथियों को बराही रेंज में शिफ्ट किया जाएगा। दोनों रेंजों में आठ लाख रुपये की लागत से एक-एक पक्का तालाब और शेड बनाए जाएंगे। दोनों रेंजों में शेड बनाने का काम भी शुरू हो चुका है।

ऑपरेशन के लिए दुधवा से मंगवाए जाते थे हाथी

पीलीभीत टाइगर रिजर्व पांच रेंजों में बंटा हुआ है। रेंजों में वनकर्मी पैदल ही पेट्रोलिंग करते आ रहे हैं। घने जंगल में वनकर्मियों को पेट्रोलिंग में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। वहीं बाघों के रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान हाथियों की कमी महसूस की जा रही थी। इसके लिए दुधवा टाइगर रिजर्व से हाथियों को मंगवाया जाता था। इस पर लाखों रुपये खर्च भी होता था। इधर, अब कर्नाटक से छह हाथियों के आने के बाद पेट्रोलिंग और रेस्क्यू ऑपरेशन में काफी मदद मिल सकेगी।

कर्नाटक से हाथियों को लाने की जिम्मेदारी वन निगम को दी गई है। हाथियों के रहने के लिए बराही और माला रेंज में पक्के तालाब और शेड बनाए जाएंगें। हाथियों के आने से जंगल में पेट्रोलिंग और रेस्क्यू ऑपरेशनों के दौरान सहुलियत मिल सकेगी। —नवीन खंडेलवाल, डिप्टी डायरेक्टर, पीटीआर।

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