पीलीभीत: रिहायशी इलाके में रहने वाले केन टाइगरों पर मंडराया खतरा

पीलीभीत: रिहायशी इलाके में रहने वाले केन टाइगरों पर मंडराया खतरा

पीलीभीत, अमृत विचार। जंगल से कोसों दूर अमरिया क्षेत्र के रिहायशी इलाके में पिछले एक दशक से डेरा जमाए केन टाइगरों (बाघ) पर खतरा मंडराने लगा है। बताते हैं कि इनमें कई की लोकेशन ही नहीं मिल रही है। जबकि यहां अक्सर इन बाघों को देखा जाता रहा है। पिछले माह जंगली सूअर समेत 15 …

पीलीभीत, अमृत विचार। जंगल से कोसों दूर अमरिया क्षेत्र के रिहायशी इलाके में पिछले एक दशक से डेरा जमाए केन टाइगरों (बाघ) पर खतरा मंडराने लगा है। बताते हैं कि इनमें कई की लोकेशन ही नहीं मिल रही है। जबकि यहां अक्सर इन बाघों को देखा जाता रहा है। पिछले माह जंगली सूअर समेत 15 वन्यजीवों के शव मिलने के बाद अंदेशा जताया जा रहा है कि इन बाघों के कुनबे पर भी कहीं शिकारियों की कुदृष्टि तो नहीं पड़ चुकी है। फिलहाल वनाधिकारी इसको लेकर अपना अलग तर्क दे रहे हैं।

पूरे यूरोप में शिकार के मामले में कभी प्रसिद्ध रहा पीलीभीत का जंगल पिछले कुछ सालों से रिहायशी इलाकों में बाघों की मौजूदगी को लेकर सुर्खियों में है। वजह यह है कि जंगल से बाहर निकला बाघों को एक बड़ा कुनबा पिछले एक दशक से रिहायशी इलाके के पास ही डेरा जमाए हुए है। इस कुनबे में 15 बाघों का होना बताया जा रहा है।

रिहायशी इलाके में डेरा जमाए इन बाघों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सामाजिक वानिकी प्रभाग की है। प्रभाग द्वारा इन बाघों की सुरक्षा को लेकर टीमें भी बनाई गई हैं। सूत्रों के मुताबिक पिछले कुछ माह से कुछ बाघों की लोकेशन नहीं मिल रही है। इसको लेकर वनाधिकारियों का कहना है कि अमरिया में रहने वाले बाघों में कुछ शावक भी हैं जो बड़े होने पर अपनी अलग टेरिटरी बना लेते हैं। कमोबेश यही स्थिति बाघिनों की भी है। फिलहाल इन बाघों को लेकर महकमे के पास कोई ठोस जानकारी नहीं है।

कहीं शिकारियों की कुदृष्टि तो नहीं पड़ गई
अमरिया के जिन रिहायशी इलाकों में इन बाघों का प्रवास है, सामाजिक वानिकी प्रभाग उन इलाकों की मॉनिटरिंग का दावा कर रहा है मगर, यह दावे हवाई साबित हो रहे हैं। पिछले माह ड्यूनी डैम के पास जंगली सुअरों, चीतल और मोर समेत 12 वन्यजीवों के शव मिले थे। फिलहाल इन वन्यजीवों की मौत शिकारियों या फिर किसी बीमारी की वजह से हुई है, इसका अभी तक खुलासा नहीं हो सका है। इन वन्यजीवों की मौत कहीं शिकारियों की साजिश का हिस्सा तो नहीं, इसको लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। ऐसे में जंगल से बाहर घूम रहे इन बाघों पर भी शिकारियों की कुद़ृष्टि तो नहीं पड़ गई, इसको लेकर भी वन्यजीव प्रेमी कयास लगा रहे हैं।

घटना होने के बाद ही उठती है शिफ्टिंग की बात

अमरिया में रहने वाले बाघों के साथ घटनाएं भी हो चुकी हैं। वर्ष 2020 में ड्यूनी डैम के समीप ही एक बाघ शिकारियों के जाल में फंस चुका है। हालांकि यह बाघ वन विभाग की टीम के पहुंचने से पहले ही निकलकर भाग निकला था। घटना के बाद एनटीसी के डीआईजी ने दौरा किया था। इसके बाद तत्कालीन पीसीसीएफ वन्यजीव ने कवायद भी शुरू की थी। बाघों की शिफ्टिंग को लेकर अनुमति भी मांगी थी लेकिन मामला ठंडे बस्ते में चला गया। इससे पूर्व भी बाघों के कुनबे को शिफ्ट करने को कई बार अभियान चलाए गए। इसमें भारी भरकम खर्च कर ट्रैक्यूलाइज एक्सपर्ट से लेकर अन्य विशेषज्ञ लंबे समय तक क्षेत्र में मौजूद रहकर निगरानी में लगे रहे लेकिन अभियान को सफलता नहीं मिल सकी।

अमरिया के बाघों की सुरक्षा को लेकर कोई खतरा नहीं है। दरअसल इनमें शावक भी शामिल हैं जो बड़े होने पर अपनी अलग टेरिटरी बना लेते हैं। बाघिन भी क्षेत्र परिवर्तन करती है। वन्यजीवों के शव मिलने के मामले में जांच अभी चल रही है।-जावेद अख्तर, फील्ड डायरेक्टर।

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