पंडित राज कौल के वंशज थे नेहरू…
‘जब बादशाह फ़र्रूख़सियर सन् 1716 में कश्मीर गया तो वह तीन विशिष्ट लोगों से मिला। इनायतुल्लाह कश्मीरी से, मोहम्मद मुराद से और पंडित राज कौल से इनायतुल्लाह कश्मीरी को बादशाह ने 4000 का मनसबदार बनाया। वह पंडित राज कौल की फ़ारसी पर पकड़ से बहुत प्रभावित हुआ और उनको दिल्ली बुलाया। कश्मीर के हब्बा कादल …
‘जब बादशाह फ़र्रूख़सियर सन् 1716 में कश्मीर गया तो वह तीन विशिष्ट लोगों से मिला। इनायतुल्लाह कश्मीरी से, मोहम्मद मुराद से और पंडित राज कौल से इनायतुल्लाह कश्मीरी को बादशाह ने 4000 का मनसबदार बनाया। वह पंडित राज कौल की फ़ारसी पर पकड़ से बहुत प्रभावित हुआ और उनको दिल्ली बुलाया। कश्मीर के हब्बा कादल गांव निवासी पंडित राजकौल जिनका जन्म 1695 के आसपास हुआ था।
वह 1716 में बादशाह फ़र्रूख़सियर के बुलाने पर सपरिवार दिल्ली आ गए और शाही परिवार के बच्चों को फ़ारसी पढ़ाने लगे। पंडित राजकौल को बादशाह ने रहने के लिए हवेली दी ( यह हवेली उस नहर के किनारे थी जिस नहर से जमुना नदी से पानी लाल किले में लाया जाता था। राजकौल के पुत्र पंडित विश्वनाथ कौल का जन्म सन् 1725 में हुआ, जो पर्शियन कालेज दिल्ली से पढ़े और मुग़ल कोर्ट में नौकरी करने लगे। पंडित विश्वनाथ कौल के तीन पुत्र हुए। पंडित साहिब राम, पंडित मंशाराम और पंडित टीकाराम.. ये तीनों फ़ारसी के विद्वान थे। क्योंकि इनका घर नहर के किनारे था तो फ़ारसी रवायत के अनुसार स्थान विशेष का तख़ल्लुस इन्होंने इख्तियार किया और अपने नाम के आगे नेहरू लिखना शुरू किया।
इन तीनों भाइयों ने ही सर्वप्रथम कौल की जगह अपना टाइटिल नेहरू लिखा। ज्ञात हो कि कौल कश्मीरी ब्राह्मणों की उपजाति है। मंशाराम नेहरू के पुत्र लक्ष्मी नरायन नेहरू का जन्म दिल्ली में हुआ। ये कंपनी सरकार की ओर से मुग़ल दरबार में वकील नियुक्त हुए। इनके पुत्र हुए पंडित गंगाधर नेहरू जिनका जन्म 1827 में दिल्ली में हुआ।
गंगाधर नेहरू दिल्ली कालेज से पढ़े और उनके सहपाठी रहे पंडित रामकृष्ण सप्रू.. पंडित विश्वंभर नाथ साहिब और पंडित स्वरूप नरायन हक्सर पंडित गंगाधर नेहरू अच्छे घुड़सवार थे और बहादुर थे। यही देखते हुए बादशाह बहादुरशाह ज़फ़र ने सन् 1845 के आसपास इन्हें दिल्ली का कोतवाल बना दिया। गंगाधर नेहरू की शादी दिल्ली के बाज़ार सीताराम के निवासी पंडित शंकर लाल जुत्शी, जो मुग़ल कोर्ट में कैलिग्राफ़र भी थे उनकी बेटी इंद्राणी जुत्शी से हुई।
जब बहादुरशाह ज़फ़र अंग्रेज़ों द्वारा पकड़ लिए गए तो गंगाधर नेहरू अपने दो बेटों बंशीधर नेहरू और नंदलाल नेहरू तथा दो बेटियों महारानी नेहरू और पटरानी नेहरू के साथ अंग्रेज़ों से जान बचाकर किसी तरह दिल्ली से आगरा चले गए। वहीं आगरा में सन् 1861 की फ़रवरी में पंडित गंगाधर नेहरू की मौत हो गई और उनकी मौत के समय मोतीलाल नेहरू गर्भ में थे और तीन महीने बाद सन् 1861 की 6 मई को मोतीलाल नेहरू का जन्म हुआ। मोतीलाल नेहरू के पुत्र जवाहर लाल नेहरू हुए और जवाहर लाल नेहरू की बेटी इंदिरा गांधी।
( स्रोत-पुस्तक-कश्मीरी पंडितों के अनमोल रत्न… लेखक.. डॉ. बैकुंठ नाथ सरगा)
- सरोज मिश्रा
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