मुरादाबाद : पेन बेच रही बच्ची का डीआईजी ने कराया स्कूल में दाखिला

मुरादाबाद : पेन बेच रही बच्ची का डीआईजी ने कराया स्कूल में दाखिला

मुरादाबाद,अमृत विचार। मातहतों के साथ महानगर की नब्ज टटोलने निकले डीआईजी शलभ माथुर की नजरें अचानक उस मासूम पर ठहर गईं, जो जेल रोड स्थित जैन मंदिर के पास कलम बेच रही थी। पुलिस अधिकारी ने 10 वर्षीय बच्ची से पूछा कि उम्र के जिस पड़ाव पर पेन का उपयोग तुम्हें लिखने में करना था, …

मुरादाबाद,अमृत विचार। मातहतों के साथ महानगर की नब्ज टटोलने निकले डीआईजी शलभ माथुर की नजरें अचानक उस मासूम पर ठहर गईं, जो जेल रोड स्थित जैन मंदिर के पास कलम बेच रही थी। पुलिस अधिकारी ने 10 वर्षीय बच्ची से पूछा कि उम्र के जिस पड़ाव पर पेन का उपयोग तुम्हें लिखने में करना था, उस कलम को तुम क्यों बेच रही? बच्ची ने जो जवाब दिया, उसने डीआईजी को मासूम का मददगार बना दिया। दूसरे दिन बच्ची का दाखिल स्कूल में हुआ। शुक्रवार को फूल ड्रेस में कंधे पर स्कूल बैग लेकर निकली बिटिया की तस्वीर ने हर किसी को मंत्रमुग्ध कर दिया। संवदेनशीलता व मानवता के लिहाज से नजीर बनी इस घटना ने मुरादाबाद को फिर पुलिस का कायल बना दिया।

सीओ सिविल लाइंस आशुतोष तिवारी के मुताबिक गुरुवार शाम साढ़े सात बजे डीआईजी शलभ माथुर व एसपी सिटी अखिलेश भदौरिया सिविल लाइंस थाने की फोर्स के साथ त्योहारों के मद्देनजर शांति व सुरक्षा बनाए रखने के लिए गणमान्य लोगों से बातचीत कर रहे थे। डीआईजी का काफिला जेल रोड पर जैन मंदिर के पास पहुंचा, तभी डीआईजी की नजर 10 वर्षीय बच्ची पर गई। बच्ची के हाथ में कलम का बंडल था।

डीआईजी को भांपते देर नहीं लगी कि बच्ची पेन बेच रही है। पलक झपकते बच्ची के करीब पहुंचे डीआईजी ने मासूम से पूछा कि पढ़ने की बजाय कलम क्यों बेच रही? बच्ची के जवाब ने पुलिस अधिकारियों को हक्का-बक्का कर दिया। बच्ची ने बताया कि पढ़ाने में परिजन असमर्थ हैं। कच्ची उम्र में ही मां-बाप की परवरिश का भार है। आर्थिक रूप से कमजोर होने का हवाला देते बच्ची ने पढ़ने की इच्छा जताई। आगे बढ़ने व कुछ कर गुजरने की तमन्ना जताई। बच्ची की दो टूक व उसके दिल में छिपी हसरत को भांपते हुए डीआईजी ने प्यार से उसका सिर सहलाया। कहा कि यदि पढ़ने को तैयार हो तो मददगार मैं बनूंगा।

उन्होंने सीओ सिविल लाइंस को बच्ची का दाखिला कराने का आदेश दिया। पढ़ाई से संबंधित सामग्री उपलब्ध कराने को कहा। डीआईजी के आदेश को अमलीजामा पहनाते हुए बच्ची शुक्रवार को स्कूल में दाखिल हो गई। तब बच्ची के चेहरे पर अनूठी मुस्कान पसरी देखी गई।

लंबी है मददगारों की फेहरिस्त
डीआईजी ने जिस बच्ची को स्कूल भेजा, उसके मददगारों की फेहरिस्त लंबी है। इसमें तनिक भी संदेह नहीं कि कच्ची उम्र में बिटिया जिंदगी से जंग लड़ रही है। चार वर्ष पहले तत्कालीन जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह की पहल पर डिप्टी सीएमओ ने इसी बच्ची के सिर का ऑपरेशन निजी अस्पताल में कराया था। तब पता चला था कि बच्ची के दिमाग में कीड़े हैं। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले नगर विधायक रितेश गुप्ता भी बच्ची के मदद में आगे बढ़े थे। उन्होंने मासूम को साइकिल मुहैया कराई। बच्ची के बातचीत की कला व वाकपटुता हर किसी को मदद करने के लिए बाध्य करती है।

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