भारत और भूटान

भारत और भूटान

सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे की भूटान यात्रा ऐसे समय में हो रही है, जब कुछ दिनों पहले नई सैटेलाइट तस्वीरों में चीन को भूटान की तरफ डोकलाम पठार के पूर्व में एक गांव का निर्माण करते हुए दिखाया गया था। यह क्षेत्र भारत के रणनीतिक हित के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। डोकलाम की …

सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे की भूटान यात्रा ऐसे समय में हो रही है, जब कुछ दिनों पहले नई सैटेलाइट तस्वीरों में चीन को भूटान की तरफ डोकलाम पठार के पूर्व में एक गांव का निर्माण करते हुए दिखाया गया था। यह क्षेत्र भारत के रणनीतिक हित के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। डोकलाम की घटना के बाद चीन की विस्तारवादी नीति ने भारत-नेपाल के सामने सीमा सुरक्षा संबंधी चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। सेना प्रमुख दोनों सेनाओं के बीच मजबूत सांस्कृतिक और पेशेवर संबंधों को आगे बढ़ाने पर विचारों का आदान-प्रदान करने के लिए रॉयल भूटान सेना में अपने समकक्ष के साथ व्यापक चर्चा करेंगे।

कहा जा रहा है कि सेना प्रमुख की यह यात्रा द्विपक्षीय संबंधों को और बढ़ाएगी, जिसमें अत्यधिक विश्वास, सद्भावना और आपसी समझ शामिल है। सुरक्षा और भूराजनीति से जुड़े समीकरण तेज़ी से बदल रहे हैं। पिछले साल अफ़ग़ानिस्तान की सरकार के पतन और इस साल यूक्रेन पर रूसी आक्रमण से महाशक्तियों की रस्साकशी का अखाड़ा बदल गया।

19 जुलाई को डोकलाम की तस्वीरें सामने आने के बाद विदेश मंत्रालय ने कहा था कि भारत राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित सभी घटनाक्रमों पर लगातार नजर रखता है और अपने हितों की रक्षा के लिए आवश्यक उपाय करता है। इससे पहले चीन द्वारा डोकलाम पठार में एक सड़क का विस्तार करने की कोशिश के बाद डोकलाम त्रिकोणीय बिंदु पर भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच 73 दिनों तक गतिरोध रहा। जबकि भूटान क्षेत्र के अपना होने का दावा करता है।

चीन भूटान के साथ औपचारिक राजनयिक और आर्थिक संबंध स्थापित करने का इच्छुक है तथा कुछ हद तक भूटान के लोग भी चीन के साथ व्यापार और राजनयिक संबंधों का समर्थन कर रहे हैं। इससे आने वाले समय में भारत के सामने कुछ अन्य चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं। भूटान में चीनी हस्तक्षेप बढ़ने से भारत-भूटान के मज़बूत द्विपक्षीय संबंधों की नींव कमज़ोर पड़ने का खतरा है।

भूटान अपनी संप्रभुता के एक महत्त्वपूर्ण आयाम के रूप में स्वतंत्र विदेश नीति के लिए प्रयास कर रहा है ताकि भारत के साथ उसके प्रगाढ़ संबंध बने रहें और चीन सहित अन्य शक्तियों से भी संतुलन सधा रहे। भूटान का राजनीतिक रूप से स्थिर होना भारत की सामरिक और कूटनीतिक रणनीति के लिहाज़ से बेहद महत्वपूर्ण है। यही वज़ह है कि आज परिपक्वता, विश्वास, सम्मान और समझ-बूझ तथा निरंतर विस्तृत होते कार्यक्षेत्र में संयुक्त प्रयास भारत-भूटान संबंधों की विशेषता हैं। भारत को भूटान की चिंताओं को दूर करने के लिए मज़बूती से काम करने की आवश्यकता है।