मुरादाबाद मंडल में कमल पर भारी साइकिल की चाल, पंजा और हाथी बेहद सुस्त

विनोद श्रीवास्तव/अमृत विचार। इसे पूरब पश्चिम की हवा का फर्क कहें या जनता की सोच का असर, प्रदेश में योगी-मोदी के मैजिक ने जहां दोबारा भाजपा सरकार को स्थापित करने के लिए स्पष्ट जनादेश दे दिया, वहीं पश्चिमी यूपी की धुरी कहे जाने वाले मुरादाबाद मंडल में कमल पर साइकिल की चाल भारी पड़ी। 2017 …
विनोद श्रीवास्तव/अमृत विचार। इसे पूरब पश्चिम की हवा का फर्क कहें या जनता की सोच का असर, प्रदेश में योगी-मोदी के मैजिक ने जहां दोबारा भाजपा सरकार को स्थापित करने के लिए स्पष्ट जनादेश दे दिया, वहीं पश्चिमी यूपी की धुरी कहे जाने वाले मुरादाबाद मंडल में कमल पर साइकिल की चाल भारी पड़ी। 2017 में जहां मंडल में 27 सीटों में से भाजपा ने 14 जीत कर समाजवादी पार्टी पर लीड ली थी तो इस बार साइकिल की चाल से कमल और मुरझाया।
मुरादाबाद मंडल की सीटों पर देखें तो रामपुर में जेल में बंद रहते हुए भी जीत दर्ज कर आजम खां ने साबित कर दिया कि उनकी जड़ें जनता के बीच काफी गहरी हैं। बाबा का बुलडोजर उनकी बुनियाद हिला तो सकता है, लेकिन उखाड़ नहीं सकता। उनके बेटे अब्दुल्ला आजम ने फिर स्वार से बड़ी जीत दर्ज की। भाजपा व सपा में यहां जीत-हार का आंकड़ा पांच में से तीन दो का रहा। तीन पर सपा जीती तो दो पर भाजपा ने अपना दबदबा कायम रखा। बिजनौर में आठ में से सौदा आधे-आधे का रहा। यहां चार पर सपा तो चार पर भाजपा ने जीत दर्ज की।
हालांकि पिछली दफा यहां भाजपा सपा पर भारी थी। यहां नहटौर, बिजनौर सदर, बढ़ापुर में भाजपा का कमल खिला तो नजीबाबाद बाद में सपा के हाजी तस्लीम ने तीसरी बार जीत दर्ज की। अमरोहा और संभल में भी इस बार जीत-हार का अंतर अधिक नहीं रहा। करीबी मुकाबलों में अमरोहा में चार में से तीन सीट पर साइकिल दौड़ी तो एक पर कमल खिला।
मुरादाबाद में नहीं चला योगी-मोदी फैक्टर, भारी पड़ी सपा
मुरादाबाद जिले में 2017 के परिणाम पर नजर डाले तों छह में से दो सीट मुरादाबाद नगर और कांठ पर भाजपा के विधायक बमुश्किल जीते थे। चार पर सपा की साइकिल चली थी, लेकिन योगी-मोदी फैक्टर का असर इस जिले में काम नहीं आया। और नहीं तो यहां पर भाजपा को कांठ की जीती सीट भी सपा के हाथों गंवानी पड़ी। हां एकमात्र सीट मुरादाबाद नगर पर क्रॉस चेकिंग के बाद शहरी सीट पर भाजपा के रितेश गुप्ता को दोबारा विधायक बनने की घोषणा हुई। वहीं, मुरादाबाद देहात, बिलारी, ठाकुरद्वारा, कुंदरकी व कांठ पर सपा ने जीत दर्ज कर सपा के सरकार न बना पाने लायक के दर्द के मरहम लगाया।
प्रियंका की ससुराल में और बढ़ा कांग्रेस की जीत का वनवास
कांग्रेस का जिले में 37 साल से चल रहा जीत का वनवास पांच साल के लिए और बढ़ गया। वह भी तब जबकि मुरादाबाद में राष्ट्रीय महासचिव और उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी की ससुराल है। हालांकि वह चुनाव में लड़की हूं लड़ सकती हूं के नारे से ससुरालवासियों से जीत की गुहार लगाकर गई थीं, लेकिन उनका दांव ससुराल के लोगों को रास नहीं आया। 2012 में अपने बूते चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस को एक भी सीट पर जीत नसीब नहीं हुई थी तो 2017 में सपा के साथ गठबंधन में लड़ने के लिए एक भी सीट सपा ने कांग्रेस को नहीं दी। सो जीत-हार का सवाल ही नहीं उठता था।
कांग्रेस और बसपा का फिर सूपड़ा हुआ साफ
मुरादाबाद जिले ही नहीं पूरे मंडल से फिर कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी का सूपड़ा साफ हो गया। 27 में से एक सीट पर भी न तो कांग्रेस का पंजा टिका और न हाथी की चिंघाड़ की सुनाई दी। पूरे समय दोनों दलों के दिग्गजों के लंबे-चौड़े दावे को जनता ने कागज की नाव की तरह भाजपा के प्रवाह में तैरा कर किनारे कर दिया।
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