हरतालिका तीज: अखंड सौभाग्य के लिए इस दिन होगी भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा

हरतालिका तीज: अखंड सौभाग्य के लिए इस दिन होगी भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा

हिंदू पंचांग (Hindu calendar) के अनुसार, भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज (Hartalika Teej ) व्रत रखा जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। ये व्रत शादीशुदा महिलाओं के साथ ही कुमारी कन्याओं द्वारा भी रखा जाता है। मान्यता है कि इस व्रत …

हिंदू पंचांग (Hindu calendar) के अनुसार, भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज (Hartalika Teej ) व्रत रखा जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। ये व्रत शादीशुदा महिलाओं के साथ ही कुमारी कन्याओं द्वारा भी रखा जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को महिलाएं अखंड सौभाग्य और सुखी दांपत्य जीवन के लिए रखती हैं। इस व्रत को सभी व्रतों में सबसे कठिन माना जाता है क्योंकि यह व्रत निर्जला रखा जाता है। कुंवारी कन्याएं हरतालिका तीज व्रत को सुयोग्य वर (suitable groom ) की प्राप्ति के लिए रखती हैं। हरतालिका तीज व्रत करने से पति को लंबी आयु प्राप्त होती है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से सुयोग्य वर की भी प्राप्ति होती है। संतान सुख भी इस व्रत के प्रभाव से मिलता है।

शुभ मुहूर्त
भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि का प्रारंभ 8 सितंबर, दिन बुधवार को देर रात 2 बजकर 33 मिनट पर होगा। यह तिथि 09 सितंबर को रात 12 बजकर 18 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। ऐसे में यह व्रत उदया तिथि में 09 सितंबर को रखा जाएगा। हरतालिका तीज की पूजा के दो शुभ मुहूर्त बन रहे हैं।

पहला शुभ मुहूर्त सुबह के समय और दूसरा प्रदोष काल यानी सूर्यास्त के बाद बन रहा है। सुबह का मुहूर्त- सुबह 06 बजकर 03 मिनट से सुबह 08 बजकर 33 मिनट तक हरतालिका तीज की पूजा का शुभ मुहूर्त है। पूजा के लिए आपको कुल समय 02 घंटे30 मिनट का समय मिलेगा। प्रदोष काल पूजा मुहूर्त- शाम को 06 बजकर 33 मिनट से रात 08 बजकर 51 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त है।

हरितालिका तीज पूजा विधि
नियमानुसार हरतालिका तीज प्रदोषकाल में किया जाता है। सुबह उठकर स्नानादि के बाद भगवान शिव और माता पार्वती को साक्षी मानकर व्रत का संकल्प लें।  हरतालिका तीज व्रत निराहार और निर्जला रखा जाता है। कई जगह इस व्रत के अगले दिन जल ग्रहण किया जाता है।

हरितालिका तीज में श्रीगणेश, भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। सबसे पहले मिट्टी से तीनों की प्रतिमा बनाएं और भगवान गणेश को तिलक करके दूर्वा अर्पित करें। इसके बाद भगवान शिव को फूल, बेलपत्र और शमिपत्री अर्पित करें और माता पार्वती को श्रृंगार का सामान अर्पित करें। तीनों देवताओं को वस्त्र अर्पित करने के बाद हरितालिका तीज व्रत कथा सुनें या पढ़ें। इसके बाद श्रीगणेश की आरती करें और भगवान शिव और माता पार्वती की आरती उतारने के बाद भोग लगाएं।

पौराणिक कथा
जब राजा हिमाचल ने पार्वती का विवाह शिव से करने से मना कर दिया था तो पार्वती की सहेलियां उनका हरण करके उन्हें जंगल में ले गईं और वहां मां पार्वती ने विधि-विधान से इस व्रत को किया। मां पार्वती ने निर्जल रहकर वन में मिलने वाले फल-फूल से भगवान शिव की आराधना की।

उनके तप से प्रसन्ना होकर भगवान शंकर ने उन्हें अपनी अर्द्धांगिनी बनाया और तभी से इस व्रत की महत्ता स्थापित हो गई। हिमाचल ने बहुत खोजा और पार्वती का कहीं पता नहीं चला। जब शिव से वरदान पाने के बाद माता पार्वती हिमाचल को मिली तो उन्होंने इतनी कठोर तपस्या का कारण पूछा।

मां पार्वती ने अपने मन की बात कही और पुत्री के हठ के आगे राजा हिमाचल को झुकना पड़ा। जिस तरह माता-पार्वती ने इस व्रत को किया था उसी तरह इस व्रत को स्त्रियां करके शिव-गौरी कृपा प्राप्त कर सकती हैं। इस व्रत में बालू की रेत से शिव-गौरी बनाकर, फल-फूल से पूजन किया जाता है। इस व्रत की रात्रि स्त्रियां रतजगा करती हैं।

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