नॉर्वे के पूर्व राजनयिक ने भी माना- Incredible India, कहा- पीसा की मीनार सिर्फ 4 डिग्री जबकि UP का मंदिर 9 डिग्री झुका है

नॉर्वे के पूर्व राजनयिक ने भी माना- Incredible India, कहा- पीसा की मीनार सिर्फ 4 डिग्री जबकि UP का मंदिर 9 डिग्री झुका है

वाराणसी। नॉर्वे के पूर्व राजनयिक एरिक सोलहेम ने ट्विटर पर वाराणसी (उत्तर प्रदेश) के रत्नेश्वर मंदिर की एक तस्वीर शेयर की। इसके साथ उन्होंने लिखा कि इटली स्थित पीसा की मीनार सिर्फ 4 डिग्री झुकी है, जबकि रत्नेश्वर मंदिर 9 डिग्री झुका हुआ है। गौरतलब है कि विश्व प्रसिद्ध पीसा की मीनार दुनिया के सात …

वाराणसी। नॉर्वे के पूर्व राजनयिक एरिक सोलहेम ने ट्विटर पर वाराणसी (उत्तर प्रदेश) के रत्नेश्वर मंदिर की एक तस्वीर शेयर की। इसके साथ उन्होंने लिखा कि इटली स्थित पीसा की मीनार सिर्फ 4 डिग्री झुकी है, जबकि रत्नेश्वर मंदिर 9 डिग्री झुका हुआ है। गौरतलब है कि विश्व प्रसिद्ध पीसा की मीनार दुनिया के सात अजूबों में शामिल है।

बता दें कि भारत का वाराणसी शहर अपने धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए मशहूर है। यहां हर साल लाखों श्रद्धालु गंगा घाट के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। कहने को तो वाराणसी या बनारस में कई मंदिर हैं, लेकिन रत्नेश्वर मंदिर जैसा कोई और मंदिर नहीं है। इसकी एक खासियत इसे अन्य मंदिरों से अलग बनाती है।

दरअसल, अन्य मंदिरों के अलावा यह मंदिर तिरछा खड़ा हुआ है। जी हां, इस प्राचीन मंदिर को देखकर इटली के पीसा टॉवर की याद आ जाती है। आपको शायद अब तक इस मंदिर के बारे में पता नहीं होगा, लेकिन यह एक ऐसी इमारत है, जो पीसा से भी ज्यादा झुकी हुई और लंबी है।

पीसा टॉवर लगभग 4 डिग्री तक झुका हुआ है, लेकिन वाराणसी में मणिकर्णिका घाट के पास स्थित रत्नेश्वर मंदिर लगभग 9 डिग्री तक झुका हुआ है। कुछ रिपोर्टों के अनुसार, मंदिर की ऊंचाई 74 मीटर है, जो पीसा से 20 मीटर ज्यादा है। एतिहासिक रत्नेश्वर मंदिर सदियों पुराना है।

वाराणसी का रत्नेश्वर मंदिर महादेव को समर्पित है। इसे मातृ-रिन महादेव, वाराणसी का झुका मंदिर या काशी करवात के नाम से भी जाना जाता है। रत्नेश्वर मंदिर मणिकर्णिका घाट और सिंधिया घाट के बीच में स्थित है। यह साल के ज्यादातर समय नदी के पानी में डूबा रहता है।

varanasi ratneshwar mahadev temple is being tilted 9 degree angle

कई बार पानी का स्तर मंदिर के शिखर तक भी बढ़ जाता है। ऐसा कहा जाता है कि मंदिर का निर्माण 19वीं शताब्दी के मध्य में हुआ था। मंदिर को 1860 के दशक से अलग-अलग तस्वीरों में चित्रित गया है।

मंदिर के झुके होने के पीछे की कहानी

यह मंदिर क्यों झुका हुआ है, इसके पीछे भी एक कहानी है। ऐसा कहा जाता है कि ये मंदिर राजा मानसिंह के एक सेवक ने अपनी मां रत्ना बाई के लिए बनवाया था। मंदिर बनने के बाद, उस व्यक्ति ने गर्व से घोषणा की कि उसने अपनी मां का कर्ज चुका दिया है।

जैसे ही ये शब्द उनकी जुबान से निकले, मंदिर पीछे की तरफ झुकने लगा, यह दिखाने के लिए कि किसी भी मां का कर्ज कभी नहीं चुकाया जा सकता। इस तीर्थ का गर्भगृह वर्ष के ज्यादातर समय गंगा के जल के नीचे रहता है।

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