पिता ने चुनरी से घोंटा बेटी का गला, फिर बोरे में भरकर फेंका शव, जानिए वारदात की वजह

पिता ने चुनरी से घोंटा बेटी का गला, फिर बोरे में भरकर फेंका शव, जानिए वारदात की वजह

रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुंगेली में एक युवक ने अपनी नौ साल की बेटी का गला घोंटकर हत्या कर दी। इसके बाद शव बोरी में भरकर फेंक दिया। पुलिस ने आरोपी बाप को उत्तर प्रदेश के कानपुर से गिरफ्तार किया है। पकड़े जाने के बाद आरोपी ने बताया कि वह बेटी की बीमारी से तंग आ …

रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुंगेली में एक युवक ने अपनी नौ साल की बेटी का गला घोंटकर हत्या कर दी। इसके बाद शव बोरी में भरकर फेंक दिया। पुलिस ने आरोपी बाप को उत्तर प्रदेश के कानपुर से गिरफ्तार किया है। पकड़े जाने के बाद आरोपी ने बताया कि वह बेटी की बीमारी से तंग आ गया था, इसके चलते उसने चुनरी से गला घोंट दिया। मामला सिटी कोतवाली क्षेत्र का है। पुलिस को झगरगट्टा गांव के खेत में करीब आठ दिन पहले बोरी में बंद बच्ची का शव मिला था।

जानकारी के मुताबिक, 13 अक्तूबर की देर शाम मवेशियों को लेकर लौट रहे चरवाहों को झगरगट्टा गांव के एक खेत में प्लास्टिक की बोरी पड़ी मिली थी। उन्होंने पास जाकर देखा तो बोरी ऊपर से बंधी हुई थी। इस पर गांव के कोटवार को इसकी जानकारी दी गई। कोटवार ने मौके पर पहुंच बोरी को बाहर से छुआ तो उसे किसी का शव होने की आशंका हुई। इसके बाद उसने पुलिस को सूचना दी। बोरी के अंदर से बच्ची का अर्द्धनग्न शव मिला था। काफी कोशिश के बाद पुलिस ने शव की शिनाख्त करवाई।

पुलिस ने जांच शुरू की तो मनोज कुर्रे के बारे में पता चला। यह भी सामने आया कि मिला शव मनोज की बच्ची का था। दोनों बाप-बेटी एक ही दिन गायब हुए। इस बीच पुलिस को मनोज की एक फोटो मिल गई। उसके सहारे मनोज की तलाश करते पुलिस कानपुर पहुंची तो पता चला कि वह रिक्शा चलाता है और हरिहर धाम में एक झोपड़ी में रहता है। पुलिस वहां पहुंचकर रात भर मनोज का इंतजार करती रही। इसके बाद अगले दिन सुबह 7 बजे मनोज रिक्शा जमा करने पहुंचा तो पुलिस ने उसे पकड़ लिया।

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पूछताछ में मनोज ने बच्ची की हत्या करने की बात कबूल कर ली। उसने पुलिस को बताया कि करीब 10 साल पहले मुंगेली का ही रहने वाला राजू अपनी पत्नी लक्ष्मी के साथ कानपुर में मजदूरी करता था। वहीं मनोज भी रिक्शा चलाता था। राजू से उसका परिचय हुआ उसके घर आना-जाना शुरू हो गया। राजू शराब पीने का आदी था और अक्सर बीमार रहता था। वहीं मनोज भी दिव्यांग था, लेकिन राजू की पत्नी लक्ष्मी से उसकी करीबियां बढ़ने लगीं। राजू को इसका पता चला, लेकिन कुछ नहीं कर सका।

इसी दौरान लक्ष्मी ने एक बेटी को जन्म दिया और करीब चार साल पहले राजू की बीमारी से मौत हो गई। इसके बाद लक्ष्मी अपने मायके मुंगेली के भरवा गुड़ान गांव पहुंच गई। कुछ समय बाद ही मनोज भी मुंगेली लौट आया। दोनों अक्सर साथ में रहते, लेकिन इस बीच लक्ष्मी की भी मौत हो गई। इसके बाद लक्ष्मी के मायके वालों ने बच्ची को मनोज को सौंप दिया। मनोज ने बताया कि बच्ची न तो चल पाती थी, न ठीक से उठ-बैठ पाती और न बोल पाती थी। उसने कई जगह इलाज कराया, पर फायदा नहीं हुआ।

मनोज ने पुलिस को बताया कि इस बीच उसका मकान भी टूट गया। इसके चलते उसके पास रहने का भी सहारा नहीं था। बच्ची की भी सारी जिम्मेदारी उसी के ऊपर थी। ऐसे में परेशान होकर उसने बच्ची का चुनरी से गला घोंट दिया और शव को बोरी में भरकर खेत में फेंक आया। वहां से मुंगेली लौटा और एक बेकरी में 300 रुपए कमाए। फिर कानपुर भाग गया और पहले की तरह रिक्शा चलाने लगा। पुलिस ने आरोपी मनोज को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया है।

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